यह ख़बर 15 दिसंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

'जमीन से जुड़े मामलों में भारतीय देते हैं 70 करोड़ डॉलर की सालाना घूस'

खास बातें

  • देश में जमीन की रजिस्ट्री, भूमि उपयोग योजना, आवंटन जैसी प्रशासनिक सेवाओं के लिये सालाना 70 करोड़ डॉलर बतौर रिश्वत दिया जाता है।
नई दिल्ली:

देश में जमीन की रजिस्ट्री, भूमि उपयोग योजना, आवंटन जैसी प्रशासनिक सेवाओं के लिये सालाना 70 करोड़ डॉलर (करीब 3,700 करोड़ रुपये) बतौर रिश्वत दिया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के निकाय खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने वाला संगठन ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल ने अपने अध्ययन भू-संपत्ति क्षेत्र में भ्रष्टाचार में यह बात कही है। रिपोर्ट के अनुसार कमजोर प्रशासन की वजह से जमीन संबंधी मामलों में भ्रष्टाचार बढ़ा है। जमीन से संबद्ध प्रशासनिक सेवाओं में जमीन से जुड़ा कानून, पंजीकरण, मूल्यांकन:कराधान, जमीन उपयोग की योजना, भूमि आवंटन तथा सूचना शामिल हैं। अध्ययन के अनुसार, भारत में जमीन संबंधी प्रशासनित सेवाओं के लिए सालाना करीब 70 करोड़ डालर की रिश्वत दी जाती है। एफएओ के बयान के अनुसार अध्ययन में 61 देशों को शामिल किया गया। इसमें पाया गया कि जमीन क्षेत्र में छोटे पैमाने से लेकर उच्च स्तर का भ्रष्टाचार है जिसमें सरकारी तथा राजनीतिक पद का फायदा उठाया जाता है। पत्र में यह भी कहा गया है कि जमीन संबंधी भ्रष्टाचार केवल भारत तक सीमित नहीं है लेकिन यह दुनिया भर में व्याप्त है। भ्रष्टाचार और जमीन उपयोग पर बढ़ रहे दबाव के बीच संबंध का विश्लेषण करते हुए पत्र में कहा गया है कि जमीन पर काफी दबाव पैदा किया गया है। नये क्षेत्रों में खेती हो रही है और शहरी केंद्रों का विस्तार कृषि भूमि तक हो रहा है। भू-क्षरण और जलवायु परिवर्तन के कारण भूमि छोड़ दी जा रही है। अध्ययन के अनुसार जमीन संबंधी मामलों में भ्रष्टाचार बढ़ने और विकास के रास्ते में बाधा है।


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