यह ख़बर 10 मार्च, 2012 को प्रकाशित हुई थी

मप्र में कानून-व्यवस्था बेहाल, अब पन्ना के एसडीएम पर फायरिंग

खास बातें

  • मुरैना में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी नरेंद्र कुमार की ट्रैक्टर से रौंदकर हत्या किए जाने के बाद अब पन्ना के एसडीएम और एसडीओपी पर रेत माफिया के फायरिंग करने की खबर है।
भोपाल:

मुरैना में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी नरेंद्र कुमार की ट्रैक्टर से रौंदकर हत्या किए जाने के बाद अब पन्ना के एसडीएम और एसडीओपी पर रेत माफिया के फायरिंग करने की खबर है।

रेत माफिया की फायरिंग में दोनों अधिकारी बाल−बाल बच गए हैं। ये अधिकारी माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए गए थे।

इससे पहले, मुरैना में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी नरेंद्र कुमार की ट्रैक्टर से रौंदकर हत्या, भिण्ड में जयदेवन पर हमला और खरगौन में हमले में पुलिस जवान की मौत... ये घटनाएं मध्य प्रदेश की बिगड़ती कानून-व्यवस्था की गवाही देती नजर आ रही हैं।

राज्य में पिछले कुछ अरसे में अपराधी तत्वों के हौसले इतने बढ़ गए हैं कि उनके लिए पुलिस का असर भी बौना हो चला है। हाल तो यह है कि पुलिस की वर्दी तक पर हाथ डालने में उन्हें डर नहीं लगता। मुरैना में आईपीएस अधिकारी नरेंद्र कुमार को कर्तव्य निष्ठा की कीमत अपनी जान देकर चुकाना पड़ी है। नरेंद्र ने बामौर में अनुविभागीय अधिकारी के पद पर रहते हुए खनन माफियाओं की नाक में दम कर दिया था। उन्होंने पिछले दो माह में कई ऐसे वाहनों को पकड़ा था, जो अवैध कारोबार में लगे थे।

जब पूरा देश होली मना रहा था तब नरेंद्र कुमार अपनी ड्यूटी को निभाते हुए माफियाओं का शिकार बने। उनकी ट्रैक्टर से रौंदकर हत्या कर दी गई। इसी तरह भिण्ड में आईपीएस अधिकारी जयदेवन ने शराब माफिया की नकेल कसी तो उन पर हमला कर दिया गया। यह हमला किसी और ने नहीं, बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाहा और उनके साथियों ने किया था।

इसी तरह, खरगौन के मंडलेश्वर में रेत माफिया ने उपनिरीक्षक आरबी गोयल व आरक्षक रघुनाथ चौहान पर जान लेवा हमला किया, जिसमें चौहान की जान चली गई जबकि गोयल जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं। इसके अलावा बीते दिनों राजधानी भोपाल के कमलानगर थाने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े लोगों ने पुलिस जवानों से मारपीट की थी और बाद में सरकार ने दबाव में आकर पिटे 10 जवानों को ही निलम्बित कर दिया था। कुछ दिन बाद एक वीडियो सामने आने पर हकीकत उजागर हुई तो सरकार को बैकफुट पर आकर सभी जवानों को बहाल करना पड़ा था।

सरकार की ओर से जारी आंकड़े बताते हैं कि बीते 13 माह में सिर्फ राजधानी में ही पुलिस बल पर 25 हमले हुए हैं। राजधानी में जब पुलिस बल का यह हाल है तो अन्य हिस्सों में क्या हाल होगा इस बात का सहजता से अंदाजा लगाया जा सकता है।

प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हों या गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता दोनों ही लगातार यह भरोसा दिलाते आ रहे हैं कि कानून से बड़ा कोई नहीं है। प्रदेश में किसी भी कीमत पर आरोपियों और अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा। सरकार किसी को संरक्षण नहीं दे रही है, मगर पुलिस बल के साथ जो हो रहा है वह इन बयानों से इतर है। चौहान ने तो विपक्ष पर राज्य को बदनाम करने तक का आरोप लगाया है।

यहां बताना लाजिमी होगा कि उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही मायावती की सरकार को जाना पड़ा है। मायावती ने शुरुआत में भ्रष्टाचार के मामलों को नजर अंदाज किया और चुनाव करीब आने पर भ्रष्टाचार में लिप्त मंत्रियों पर कार्रवाई की मगर उसका उन्हें लाभ नहीं मिला। ठीक ऐसा ही हाल मध्य प्रदेश में कानून-व्यवस्था को लेकर हो चला है। पुलिस पर हो रहे हमलों से सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है। इन मामलों मे राज्य सरकार ने गंभीरता नहीं बरती तो यह मुददा शिवराज सरकार के लिए चुनाव में मुसीबत खड़ी कर सकता है।

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राज्य का मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस लगातार शिवराज सरकार पर हमले बोल रहा है और उसे एक के बाद एक हमला करने का मौका सरकार के ही लोग दे रहे हैं। पहले अवैध खनन मामले पर घिरी थी सरकार, अब बिगड़ती कानून-व्यवस्था सरकार की मुश्किलें बढ़ा रही हैं।