यह ख़बर 13 जून, 2013 को प्रकाशित हुई थी

'संघीय मोर्चा' पर लेफ्ट ने कहा, मोल-भाव की ताकत बढ़ाना चाहती हैं ममता

खास बातें

  • वाम दलों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के संघीय मोर्चा के गठन के आह्वान को 2014 के चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी के साथ मोल-भाव की ताकत बढ़ाने की 'चाल' करार देते हुए कहा है कि यह मोर्चा एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम के बिना सफल नहीं हो सकता है।
कोलकाता:

वाम दलों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के संघीय मोर्चा के गठन के आह्वान को 2014 के चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी के साथ मोल-भाव की ताकत बढ़ाने की 'चाल' करार देते हुए कहा है कि यह मोर्चा एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम के बिना सफल नहीं हो सकता है।

मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी पोलित ब्यूरो के सदस्य और विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्रा ने कहा, यह और कुछ नहीं, बल्कि 2014 के चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के साथ मोल-भाव की ताकत बढ़ाने की ममता बनर्जी की चाल है। प्रत्येक व्यक्ति उनके पिछले राजनीतिक रिकॉर्ड से परिचित है।

मिश्रा ने कहा, इस प्रकार का गठबंधन कभी सफल नहीं हो सकता। वह बहु-दलीय विचारों में यकीन नहीं रखती हैं, क्योंकि वह उनका दृष्टिकोण हमेशा एकात्मक रहा है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के नेता एबी वर्धन ने भी मिश्रा से सुर में सुर मिलाते हुए कहा, केंद्र में सत्ता में आने के लिए केवल कुछ मुख्यमंत्रियों का साथ आना उचित विकल्प नहीं है।

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उन्होंने कहा, न्यूनतम साझा कार्यक्रम के बिना यह मोर्चा व्यावहारिक नजर नहीं आता। इससे पूर्व हमने एक समान विचारधारा वाले धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ मिलकर एक साझा एजेंडे के आधार पर तीसरा मोर्चा गठित करने की बात की थी। बनर्जी ने संघीय मोर्चा के गठन के संबंध में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से बात की है।