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This Article is From Jan 08, 2018

समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट फिर से करेगा विचार

एक बडा कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 2013 के सुरेश कुमार कौशल बनाम नाज फाउंडेशन मामले में दो जजों की बेंच के उस फैसले पर दोबारा विचार करने पर सहमति जता दी जिसके तहत भारतीय दंड संहिता की धारा 377 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा गया है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने पांच LGBT नागरिकों द्वारा दाखिल याचिका को बडी बेंच के लिए रैफर किया है. 

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समलैंगिकता अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट फिर से करेगा विचार
फाइल फोटो
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