यह ख़बर 03 जून, 2014 को प्रकाशित हुई थी

महाराष्ट्र में भाजपा का चेहरा थे गोपीनाथ मुंडे

फाइल फोटो

मुंबई:

साधारण किसान परिवार से उठकर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री तक का सफर तय करने वाले गोपीनाथ मुंडे ने राज्य में अन्य दलों के साथ पुल का काम किया और अपने साले प्रमोद महाजन के निधन के बाद वह महाराष्ट्र में भाजपा के सबसे कद्दावर नेता बन गए थे।

महाराष्ट्र भाजपा में वह तब तक शीर्ष पर बने रहे, जब तक कि उनके पूर्व मंत्रिमंडलीय कनिष्ठ सहयोगी (1994-99) नितिन गडकरी 2009 में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बन गए।

महाराष्ट्र के पिछड़े इलाके, बीड़ जिले के पराली में एक मध्यवर्गीय किसान परिवार के पांच बच्चों में से तीसरे नंबर के मुंडे ने एक मामूली सरकारी स्कूल में पढ़ाई की थी, जहां कक्षाएं पेड़ के नीचे चलती थीं। उसके बाद उन्होंने जिलास्तरीय हाईस्कूल में दाखिला लिया और बाद में अंबेजोगै में एक कॉलेज से स्नातक की उपाधि हासिल की।

कॉलेज के दिनों में मुंडे की मुलाकात मृदुभाषी प्रमोद महाजन से हुई, जिन्होंने मुंडे को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। बाद में 1975-1977 के आपातकाल के दौरान वह लगभग तीन वर्ष तक आरएसएस के कार्यकर्ता के रूप में जेल में रहे।

मुंडे की राजनीतिक शुरुआत तब हुई, जब उन्होंने पुणे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रशिक्षण शिविर में हिस्सा लिया और उसके बाद आरएसएस की पुणे इकाई की कार्यकारी समिति के सदस्य बन गए।

1980 तक जनता पार्टी गठबंधन टूटने के कगार पर था, और पूर्व भारतीय जनसंघ के स्थान पर भाजपा का उदय हो रहा था।

उसी वर्ष मुंडे को भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा की राज्य इकाई का अध्यक्ष बना दिया गया और वह महाराष्ट्र में विधायक भी निर्वाचित हो गए।

मुंडे की महाजन से दोस्ती उस समय पारिवारिक रिश्ते में बदल गई, जब उन्होंने महाजन की बहन प्रादन्य महाजन से शादी की। दोनों से तीन बेटिया हैं, जिसमें पंकजा मुंडे-पलवे राज्य विधानसभा की सदस्य हैं, जो अपने गृह क्षेत्र पराली से निर्वाचित हुई हैं।

राज्य में शिव सेना-भाजपा विपक्षी गठबंधन में विधायक के रूप में काम करने के बाद मुंडे दिसंबर 1991 में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बन गए। वह मार्च 1995 तक इस पद पर रहे।

उसी वर्ष बाद में महाराष्ट्र विधानसभा का चुनाव हुआ और भगवा गठबंधन ने राज्य में जीत दर्ज कराई, और शरद पवार के नेतृत्व वाली अविभाजित कांग्रेस की राज्य सरकार सत्ता से बेदखल हो गई।

शिव सेना के मनोहर जोशी राज्य के मुख्यमंत्री बने, तो मुंडे उपमुख्यमंत्री और गृहमंत्री बनाए गए। लेकिन 1999 के चुनाव में यह गठबंधन दोबारा जीत हासिल नहीं कर पाया।

राज्य के गृहमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल याद किया जाता है, क्योंकि उन्होंने मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र पुलिस को माफियाओं के खात्मे के लिए पूरी छूट दी और पुलिस ने कई सारे माफियाओं का सफाया कर दिया। छूट पाने के बाद कई सामान्य पुलिसकर्मी भी मुंबई, ठाणे, पुणे, नागपुर और अन्य स्थानों पर एनकाउंटर विशेषज्ञ बन गए और उन्होंने कई सारे गुंडों को मार गिराया।

2006 में महाजन की मौत के बाद मुंडे महाराष्ट्र के सर्वाधिक वरिष्ठ नेताओं में शुमार हुए। लेकिन 2009 में पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी हासिल कर गडकरी ने उन्हें पीछे छोड़ दिया। लेकिन उसके बाद मुंडे को लोकसभा में विपक्ष का उपनेता बनाया गया।

कुछ भी हो मुंडे-गडकरी के बीच पार्टी राजनीति में एक निष्पक्ष कामकाजी रिश्ता कायम था। लेकिन मंगलवार सुबह मुंडे के त्रासद निधन की खबर से सब हतप्रभ रह गए।

हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा नेतृत्व वाले राजग को ऐतिहासिक जीत हासिल हुई तो मुंडे और गडकरी, दोनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में मंत्री बनाया गया।

यही नहीं इस बार लोकसभा चुनाव में मुंडे की भतीजी, यानी प्रमोद महाजन की पुत्री पूनम महाजन-राव ने भी मुंबई से जीत दर्ज कराई। उनके भाई राहुल महाजन टेलीविजन से जुड़े हुए हैं।

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मुंडे महाराष्ट्र के पिछड़े मराठवाड़ा क्षेत्र के दूसरे जन नेता हैं, जिनकी असमय मौत हुई है।