राज्‍यसभा में तीन तलाक बिल: सरकार के पास दो दिन, विपक्ष सेलेक्‍ट कमेटी की मांग पर अड़ा

बुधवार को तीन तलाक़ बिल राज्यसभा में पेश हुआ. इस पर जमकर हंगामा हुआ और अब गुरुवार को फिर सरकार ट्रिपल तलाक बिल को पास करवाने की कोशिश कर सकती है. हालांकि राज्यसभा में संख्या बल न होने की वजह से ट्रिपल तलाक बिल पास कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है.

राज्‍यसभा में तीन तलाक बिल: सरकार के पास दो दिन, विपक्ष सेलेक्‍ट कमेटी की मांग पर अड़ा

राज्‍यसभा में तीन तलाक बिल: सरकार के पास दो दिन, विपक्ष सेलेक्‍ट कमेटी की मांग पर अड़ा (फाइल फोटो)

खास बातें

  • शीतकालीन सत्र शुक्रवार को हो जाएगा खत्‍म
  • विपक्ष ने बुधवार को राज्‍यसभा में रखे थे दो संशोधन
  • विपक्ष के संशोधनोंं पर अरुण जेटली को था ऐतराज
नई दिल्ली:

बुधवार को तीन तलाक़ बिल राज्यसभा में पेश हुआ. इस पर जमकर हंगामा हुआ और अब गुरुवार को फिर सरकार इस बिल को पास करवाने की कोशिश कर सकती है. हालांकि राज्यसभा में संख्या बल न होने की वजह से ट्रिपल तलाक बिल पास कराना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. विपक्ष की मांग है कि ट्रिपल तलाक बिल में कई खामियां हैं और उसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए. बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस अप्रत्यक्ष रूप से तीन तलाक बिल का विरोध कर रही है. सरकार के पास शीतकालीन सत्र में बिल पास करवाने के लिए सिर्फ गुरुवार और शुक्रवार का वक्त बचा है.

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विपक्ष की मांग 
विपक्ष विधेयक को प्रवर समिति (सलेक्‍ट कमेटी) में भेजने के प्रस्ताव पर मत विभाजन की मांग पर अड़ा रहा.नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने सरकार के दोहरा मापदंड अपनाने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि हम विधेयक की प्रक्रिया को पूरा करेंगे.तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय तथा कांग्रेस के आनंद शर्मा ने विधेयक को सदन की प्रवर समिति के पास भेजने का प्रस्ताव पेश किया. उन्होंने दावा किया कि विधेयक त्रुटिपूर्ण है और प्रवर समिति में इस विधेयक पर व्यापक चर्चा होगी. नेता प्रतिपक्ष आजाद ने भी इसे प्रवर समिति में भेजने पर बल दिया और भाजपा पर राजनीति करने का आरोप लगाया.

सरकार का पक्ष
वित्त मंत्री अरूण जेटली और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए इस विधेयक को जल्दी पारित कराने की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले और लोकसभा में इस विधेयक के पारित होने के बाद भी ऐसी घटनाएं समाज में हो रही हैं. उन्‍होंने कहा कि तीन तलाक पर रोक के लिए कानून की खातिर कोर्ट ने छह महीने का समय दिया है जो फरवरी में पूरा हो जाएगा. कांग्रेस की ओर इशारा करते हुए सरकार ने आरोप लगाया कि विपक्ष जानबूझ कर विधेयक को अवरूद्ध करने की कोशिश कर रहा है. प्रसाद ने कहा कि सरकार ने लोकसभा में इस विधेयक का समर्थन किया है और यहां दोहरा मापदंड अपना रही है.

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कानून मंत्री प्रसाद ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2017 चर्चा के लिए पेश किया और इसे ऐतिहासिक विधेयक बताया. जेटली ने विभिन्न नियमों और सदन की परिपाटी का हवाला देते हुए कहा कि दोनों प्रस्ताव निर्धारित प्रक्रिया को पूरी नहीं करते और दोनों प्रस्ताव अस्वीकार्य हैं. उन्होंने आनंद शर्मा के प्रस्ताव का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसा कभी नहीं होता कि संसद की किसी समिति में सत्तारूढ़ दल को बाहर कर दिया जाए.

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इस दौरान सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच तीखी नोंकझोंक हुयी तथा दोनों पक्षों ने अपने अपने पक्ष में विभिन्न तर्क दिए. तृणमूल के डेरेक ओ ब्रायन तथा सपा के नरेश अग्रवाल ने भी विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की. भाजपा सदस्यों के विरोध के बीच कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने कुछ कहने का प्रयास किया। लेकिन उनकी बातें ठीक से सुनी नहीं जा सकी. इस दौरान कानून मंत्री प्रसाद ने उनके बोलने पर आपत्ति जतायी और कहा कि वह इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक पक्ष के वकील रहे हैं. इसलिए वह इस मुद्दे पर नहीं बोल सकते.

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सदन में हंगामा थमते नहीं देख कुरियन ने बैठक दिन भर के लिए स्थगित कर दी. हंगामे के बीच ही कुछ सदस्यों ने महाराष्ट्र में जातीय हिंसा का मुद्दा उठाने का प्रयास किया. नेता प्रतिपक्ष आजाद ने आरोप लगाया कि यह सरकार दलित विरोधी है और इसके सत्ता में आने के बाद दलितों की बदहाली बढ़ी है. इस पर सदन के नेता जेटली ने कहा कि राज्यों के विषय राज्यों में उठाए जाते हैं और यहां जिस महत्वपूर्ण मुद्दे की बात की गयी है, उस संबंध में नेता प्रतिपक्ष को उन भडकाऊ भाषणों पर भी गौर करना चाहिए जो संगठित हिंसा के संबंध में दिए गए हैं.
 


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