Lockdown: कर्नाटक के कोने-कोने में बाइक से जरूरतमंदों तक मुफ्त में दवाएं पहुंचा रहे युवक

Lockdown: बेंगलुरु से फासला 50 किलोमीटर का हो या 600 किलोमीटर का, पुलिस कंट्रोल रूम को फोन पर जानकारी मिलते ही राइडर्स रिपब्लिक के जांबाज मदद के लिए निकल पड़ते हैं

Lockdown: कर्नाटक के कोने-कोने में बाइक से जरूरतमंदों तक मुफ्त में दवाएं पहुंचा रहे युवक

प्रतीकात्मक फोटो.

बेंगलुरु:

Lockdown: लॉकडाउन की वजह से कैंसर और मानसिक बीमारियों से पीड़ित उन लोगों की समस्या काफी बढ़ गई है जो छोटे शहरों या गांवों में रहते हैं. कुछ दवाइयां ऐसी हैं जो कर्नाटक में सिर्फ बेंगलुरु में ही मिलती हैं. ऐसे में पुलिस कंट्रोल रूम इन बीमार लोगों तक दवा पहुंचाने का काम राइडर्स रिपब्लिक नाम के युवाओं की एक बाइकर्स टीम के साथ कर रहा है, वह भी फ्री में.

कैंसर के साथ-साथ कई मानसिक रोगों की दवाएं सिर्फ बेंगलुरु में ही मिलती हैं. जब पुलिस ने अपनी जांच में यह सही पाया तो कर्नाटक के दूरदराज़ के इलाकों में बगैर दवा के तकलीफ से कराहते मरीजों की उम्मीद जगी. बेंगलुरु से फासला 50 किलोमीटर का हो या 600 किलोमीटर का, बस पुलिस कंट्रोल रूम को फ़ोन कर दवा के साथ-साथ ज़रूरी जानकारी दें, राइडर्स रिपब्लिक के जांबाज़ मदद के लिए निकल पड़ते हैं.

राइडर्स रिपब्लिक के यतीश बाबु ने बताया कि ''बहुत से दानदाताओं ने दवा मुफ्त में हमें दी है. अगर किसी के पास पैसे नहीं होते तो हम खुद ही खरीदते हैं. कर्नाटक में कहीं भी दवा हम पहुंचा रहे हैं. हाल ही में हमने चेन्नई में भी दवा पहुंचाई.''

जिन लोगों के रिश्तेदार बेंगलुरु में नहीं हैं उनकी दवा राइडर्स रिपब्लिक खरीदता है. जो पैसे दे सकते हैं वो दें, नहीं तो दवा भी मुफ्त में पहुंचाई जा रही है क्योंकि लॉकडाउन की वजह से कई लोगों की आमदनी खत्म हो गई है.

नार्थ ईस्ट के डीसीपी डॉ भीमशंकर एस गुलेड ने कहा कि ''हमने पाया कि कैंसर और मनोरोग जैसी कुछ बीमारियों की दवा सिर्फ बेंगलुरु में ही मिलती है, जिला मुख्यालयों में नहीं. दो शर्त अनिवार्य हैं डिलीवरी के लिए, पहली की ये जीवन रक्षक दवा हों और दूसरी स्थानीय दवा दुकानों में न हों.''

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इन राइडर्स के हौसले की दाद देनी होगी. सैकड़ों किलोमीटर का सफर हर रोज तय कर रहे हैं, अपने जैसे एक दूसरे इंसान का दर्द कम करने के लिए.