यह ख़बर 03 जुलाई, 2014 को प्रकाशित हुई थी

यूपी : 800 करोड़ से ज्यादा का घपला, कुंभ मेला खर्चे पर कैग रिपोर्ट, विपक्ष ने किया हंगामा

फाइल फोटो

लखनऊ:

महाकुंभ और स्मारकों को लेकर कैग रिपोर्ट पर चर्चा की मांग पर अड़े भाजपा और कांग्रेस सदस्यों ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा में जबर्दस्त हंगामा किया, जिसके कारण सदन की बैठक दो बार स्थगित करनी पड़ी।

शून्यकाल के दौरान भाजपा और कांग्रेस सदस्यों ने दो अलग-अलग कार्यस्थगन प्रस्ताव के जरिये मांग की कि कैग ने अपनी रिपोर्ट में महाकुंभ के आयोजन तथा बसपा शासन के दौरान स्मारकों के निर्माण में गंभीर वित्तीय गड़बडियों का खुलासा किया है। इसलिए इस पर सदन में चर्चा होनी चाहिए।

विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि पहले कैग रिपोर्ट लोक लेखा समिति (पीएसी) के पास जाएगी और पीएसी की रिपोर्ट मिलने के बाद ही उस पर सदन में चर्चा हो सकती है।

सदन में विपक्ष के नेता बसपा के स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी नियम और परंपराओं की बात करते हुए विधानसभा अध्यक्ष की बात का समर्थन किया।

बहरहाल, भाजपा सदस्य अपनी मांग पर अड़े रहे और पार्टी के उप-नेता सतीश महाना ने यह कहते हुए चर्चा की मांग दोहराई कि जब कैग की रिपोर्ट सदन में पेश हो चुकी है और इस बारे में समाचार पत्रों में खबरें आ चुकी हैं, तो चर्चा कराने में हर्ज नहीं है।

उन्होंने कहा कि कैग रिपोर्ट में महाकुंभ के आयोजन तथा स्मारकों के निर्माण में गंभीर अनियमितताओं का उल्लेख है, इसलिए चर्चा जरूरी है।

संसदीय कार्य मंत्री मोहम्मद आजम खां ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि महाकुंभ का मामला आस्था से जुड़ा है, लेकिन वह जनता को भ्रमित करना चाहती है। उन्होंने कहा, 'महाकुंभ के आयोजन पर सवाल उठाने से भाजपा को साधु संतों की नाराजगी और श्राप मोल लेना पड़ेगा, क्योंकि अब तो इनका धर्म सत्ता हो गई है और ये सब अधर्मी हो गए हैं।'

खां के इतना कहते ही भाजपा के सदस्य उत्तेजित हो गए और आसन के सामने आकर नारेबाजी करने लगे।

कई बार आग्रह के बावजूद जब भाजपा सदस्यों का हंगामा नहीं थमा तो अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर लगभग 12 बजकर 10 मिनट पर 40 मिनट के लिए स्थगित कर दी।

चालीस मिनट बाद सदन की बैठक दोबारा शुरू होने पर ये मामला फिर उठा। इस बार कांग्रेस सदस्य चर्चा की मांग करते हुए आसन के सामने आकर हंगामा करने लगे। कांग्रेस सदस्यों ने अनियमितताओं की जांच के लिए सदन की एक संयुक्त समिति के गठन की मांग भी की।

हंगामे के बीच अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही एक बार फिर पांच मिनट के लिए स्थगित कर दी। मगर उसके बाद भी जब हंगामा नहीं थमा तो उन्होंने शोर शराबे के बीच ही आवश्यक दस्तावेज सदन पटल पर रखवाये और कार्यसूची पर निर्धारित विधायी कार्यों को पूरा करवाने के बाद कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।

उल्लेखनीय है कि भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (कैग) ने पिछले वर्ष प्रयाग में आयोजित महाकुम्भ मेले के नियोजन एवं प्रबंधन में कई मोर्चों पर कमियां रहने का खुलासा करते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा है कि केंद्र सरकार से की गई धनराशि की मांग वास्तविक नहीं थी।

रिपोर्ट में आंकड़ों के हवाले से कहा गया है, 'भारत सरकार से की गई धनराशि की मांग वास्तविक नहीं थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुम्भ में हुए सम्पूर्ण व्यय का मात्र एक प्रतिशत ही राज्यांश के रूप में व्यय किया था। केन्द्र से जो 800 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सहायता मिली थी, उसे सरकार ने पहले ही कराये जा चुके कार्यों के भुगतान में खपा दिया।'

रिपोर्ट में बसपा शासनकाल में स्मारकों के निर्माण में भी भारी वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा किया गया है।

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इसमें कहा गया है कि लखनऊ में बना डॉ भीमराव अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल, मान्यवर श्री कांशीरामजी स्मारक स्थल, बुद्ध विहार शांति उपवन और ईको पार्क तथा नोएडा में मान्यवर श्री कांशीराम जी ग्रीन गार्डन के निर्माण का मूल परिव्यय 943.73 करोड़ रुपये था। लेकिन, उनकी डिजाइन तथा अन्य निर्माण योजनाओं में बार-बार परिवर्तन किया गया, जिसकी वजह से यह राशि बढ़कर 4558.01 करोड़ रुपये हो गई।