महाराष्ट्र और तेलंगाना के बीच पानी के बंटवारे का विवाद खत्म, ऐतिहासिक करारनामा हुआ

महाराष्ट्र और तेलंगाना के बीच पानी के बंटवारे का विवाद खत्म, ऐतिहासिक करारनामा हुआ

करारनामे के आदान-प्रदान करते हुए देवेंद्र फडणवीस और चंद्रशेखर राव.

खास बातें

  • कांग्रेस का आरोप महाराष्ट्र के राज्यपाल के दबाव में हुआ फैसला
  • थमिडीहट्टी बांध की ऊंचाई 152 से घटाकर 148 मीटर तय की
  • महाराष्ट्र की 50 हजार, तेलंगाना की 16 लाख 40 हजार एकड़ जमीन होगी सिंचित
मुंबई:

तेलंगाना के मुख्यमंत्री चन्द्रशेखर राव ने मंगलवार को मुंबई पहुंचकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ ऐतिहासिक जल बंटवारे के करारनामे पर हस्ताक्षर किए. इस करार से महाराष्ट्र और तेलंगाना के बीच गोदावरी, प्राणहिता और पैनगंगा नदियों के पानी के बंटवारे का लंबे समय से चला आ रहा विवाद खत्म होने का दावा किया जा रहा है.

महाराष्ट्र के गांव नहीं होंगे विस्थापित
महाराष्ट्र सरकार के पांच सितारा गेस्ट हाउस सह्याद्री में हुए इस करारनामे के बाद खुलासा हुआ है कि तेलंगाना ने निर्माणाधीन थमिडीहट्टी बांध की ऊंचाई 152 से घटाकर 148 मीटर तय की है. इससे महाराष्ट्र का एक भी गांव विस्थापित होने की नौबत नहीं आएगी. इस पानी बंटवारे से महाराष्ट्र को 50 हजार एकड़ जबकि तेलंगाना की 16 लाख 40 हजार एकड़ जमीन को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा.

करार से होने वाला व्यय तेलंगाना वहन करेगा
करारनामे पर हस्ताक्षर के मौके पर चंद्रशेखर राव ने कहा कि तेलंगाना का संघर्ष आंध्र से है, महाराष्ट्र से नहीं. पानी बंटवारे का विवाद हल करने के लिए हमने बातचीत का रास्ता अपनाया है. जबकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पानी बंटवारे पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि महाराष्ट्र में इस करार से जो भी खर्च आएगा वह तेलंगाना देगा.

महाराष्ट्र के सिरोंचा तहसील के 21 गांव डूबने का दावा
वैसे इस मुद्दे पर महाराष्ट्र में एक नया विवाद भी शुरू हो गया है. कांग्रेस के नेता विजय वडेट्टीवार ने महाराष्ट्र के हिस्से का पानी तेलंगाना को देने पर आपत्ति उठाते हुए दावा किया है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल विद्यासागर राव के दबाव में यह फैसला लिया गया है. मेडीगट्टा बांध से महाराष्ट्र के सिरोंचा तहसील के 21 गांव डूब में आएंगे.


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