महाराष्ट्र के गांवों में तेजी से फैल रहा कोरोना वायरस, नर्सों की हालत बदतर

महाराष्ट्र में अस्पतालों में नर्सिंग स्टाफ से बुरा बर्ताव, जरूरत से काफी कम वेतन और खाने के लिए दी जा रहीं कच्ची रोटियां

महाराष्ट्र के गांवों में तेजी से फैल रहा कोरोना वायरस, नर्सों की हालत बदतर

पुणे में विरोध प्रदर्शन करती हुईं नर्सें.

मुंबई:

कोविड-19 (Covid-19) संक्रमण के मामलों में सबसे ऊपर चल रहे महाराष्ट्र (Maharashtra) में ग्रामीण इलाकों में कोरोना वायरस (Coronavirus) तेज़ी से फैल रहा है. बीस हज़ार मौतें हो चुकी हैं. इन छोटे शहरों में नर्सों की हालत अब भी बदतर है. समय पर वेतन न मिलने की शिकायत से लेकर कच्चा खाना खिलाने के आरोप नर्स लगा रही हैं. अमरावती में नर्सों को कच्ची रोटियां खाने को मिल रही हैं.

अमरावती की एक नर्स ने कहा कि  ‘कच्ची रोटी और चावल खाकर हम कोविड ड्यूटी में कैसे काम करें? ये खाना खाकर, छह घंटे पीपीई पहनकर काम करने से सभी स्टाफ़ बीमार पड़ रहा है.''

पुणे में नर्सिंग स्टाफ़ सड़कों पर दिखा. एक नर्स ने कहा कि 'ड्यूटी ऑवर छह घंटे है लेकिन इसकी जगह आठ घंटे काम करवा रहे हैं. हमारी शिकायत के बाद बोलते हैं कि यही होगा, छोड़ना है तो छोड़ दो.' नर्सिंग स्टाफ़ के एक सदस्य ने कहा कि ‘मनेजमेंट ने कहा था, कोविड ड्यूटी के लिए वेतन में बढ़ोतरी होगी, लेकिन नहीं हुई. हमारे साथ अन्याय हो रहा है, हमारा साथ दीजिए.'

महाराष्ट्र में कोरोना से मरने वालों की संख्या 20,000 के पार, 11111 नए मामले

ठाणे में आवाज़ उठाने पर नर्सों को पुलिस वैन में डालकर थाने ले जाया गया. यहां की एक नर्स ने कहा ‘ठाणे कोविड अस्पताल का यह स्टाफ़ है. हम लोगों को पकड़कर ले जा रहे हैं. हम अपने हक़ के लिए लड़ रहे हैं. पुलिस वैन में हमको लेकर जा रहे हैं.'

सरकार को कई शिकायतें भेजी जा चुकी हैं. सेवाशक्ति हेल्थकेयर, क्लिनिकल नर्सिंग रिसर्च और जनस्वास्थ्य अभियान जैसे जाने माने नर्सिंग संस्थाओं की फ़ाउंडर डॉ स्वाति राणे बताती हैं कि महाराष्ट्र के कई हिस्सों में नर्सों की हालत अब भी बुरी है. उन्होंने कहा कि ‘बहुत सारी नर्सों का पेमेंट कट हो रहा है. हमको डिस्ट्रेस कॉल आ रहे हैं. नर्सों को वक्त पर पेमेंट नहीं है. रेशियो कम है नर्सों का. काम कैसे होगा, पेशेंट सफ़र करेंगे. मुंबई के प्राइवेट अस्पताल ध्यान रख रहे हैं लेकिन महाराष्ट्र के इंटीरियर इलाक़ों में बहुत बुरा हाल है.'

कोरोना का भय और लॉकडाउन के कारण अप्रैल महीने से ही राज्य नर्सिंग स्टाफ़ की कमी झेल रहा था. ऐसे में ज़्यादा वेतन के साथ कुछ भर्तियां शुरू हुईं लेकिन प्राइवेट संस्थानों में बेड की क़ीमतों पर लगी सरकारी कैप के कारण आरोप है कि अस्पताल, स्टाफ़ का ध्यान नहीं रख पा रहे हैं.

महाराष्ट्र मेडिकल एसोसिएशन के डॉ अविनाश भोंडवे ने कहा कि ‘महाराष्ट्र में प्राइवेट अस्पतालों की दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं. सरकार ने मई महीने में इनके 80% बेड ले लिए. जो रेट बेड के लिए तय किए उसमें उनके लिए काम निभा पाना मुश्किल हो रहा है. ये रेट बहुत ही कम हैं, जिसकी वजह से स्टाफ़ की सैलरी पर बड़ा खर्चा हो रहा है.'

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महाराष्ट्र में कोरोना के 11,111 नए मामले सामने आए हैं जिससे संक्रमण के मामलों की कुल संख्या 5,95,865 तक पहुंच गई है. वहीं राज्य में 20,000 से ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत तेजी से फैल रही यह महामारी राज्य सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा रही है. ज़रूरत है जल्द से जल्द इन इलाक़ों में स्वास्थ्य ढांचे को दुरुस्त किया जाए.