दाल जमाखोरों पर महाराष्ट्र सरकार डाल रही छापे, लेकिन आसान नहीं 'मकोका' लागू करना

दाल जमाखोरों पर महाराष्ट्र सरकार डाल रही छापे, लेकिन आसान नहीं 'मकोका' लागू करना

देश में दाल के बढ़ते दामों को ध्यान में रखते हुए महाराष्ट्र भर में व्यापारियों के गोदामों पर छापे मारे जा रहे हैं। जमाखोरों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने का दावा करते हुए सरकार ने इन जमाखोर के आरोपियों पर मकोका लगाने की बात कही है। दाल के दाम जब आसमान छू रहे हैं तब व्यापारियों के गोदामों पर छापे पड़ने शुरू हुए हैं। करोड़ों की दाल जब्त होनी शुरू हुई है।

छापे डालने के लिये बाकायदा पुलिस की मदद ली जा रही है। पुलिस को कहा गया है कि वो खुफिया विभाग को दाल के जमाखोरों की जां के लिए लगाए। अब महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम यानी मकोका कानून के तहत भी दाल व्यापारियों पर कार्रवाई होगी।

गिरीश बापट, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री, का कहना है कि जिस मात्रा में माल जब्त हुआ है, वो बहुत ज्यादा है और इतनी जमाखोरी एक संगठित और सोचे समझे तरीके से ही की जा सकती है। इसलिए मकोका लगाया जाएगा। जमाखोरों पर मकोका लगाने की घोषणा तो हो गयी लेकिन जानकारों की मानें तो यह इतना आसान नहीं होगा।

अडवोकेट अनिकेत निकम ने कहा कि मकोका लगाने के लिए कॉन्स्पिरेसी दिखानी होगी। एक ऑर्गेनाइज्ड क्राइम सिंडिकेट दिखाना होगा। सिंडिकेट के कम से कम एक आदमी के खिलाफ 10 सालों के अंदर वैसे ही मामले में दो चार्जशीट फ़ाइल की हुई होनी चाहिए। कोर्ट उसका कॉग्नीज़न्स लेगा तभी मकोका लगेगा।

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दूसरी ओर व्यापारी कह रहे हैं कि वो किसी जमाखोरी में शामिल नहीं हैं। बिमल कोठारी, वाइस चेयरमैन इंडियन्स पल्सेस ऐंड ग्रेन असोसिएशन ने कहा कि जो जब्त माल पकड़ा गया है, वो जमाखोरी नहीं है। जब्त किया माल फ्लोटिंग माल है। मकोका लगाने के लिए जरूरी मापदंड ना होने पर केस कोर्ट में टिक नहीं पायेगा और ये बात सरकार को मालूम न हो यह मानना मुश्किल है। ऐसे में कहा जा रहा है कि क्या सरकार जमाख़ोर व्यापारियों केखिलाफ सख्त कारवाही का सिर्फ दिखावा कर रही है और इनका माल जब्त करने के सिवा इनके खिलाफ कोई और सख्त कदम इनके नहीं उठाया जायेगा।