शेर पर सवा शेर, मोदी सरकार को पटखनी देने की जुगत में महाराष्ट्र सरकार

केंद्र और महाराष्ट्र के बीच जारी जंग, ईडी को मिली अमित चांदोले की कस्टडी, महाराष्ट्र सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय का तोड़ खोज लिया

शेर पर सवा शेर, मोदी सरकार को पटखनी देने की जुगत में महाराष्ट्र सरकार

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो).

मुंबई:

मोदी सरकार (Modi government) और राज्यों के बीच जारी जंग में महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra government) ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) का तोड़ खोज लिया है. महाराष्ट्र में अब ईडी का जवाब आर्थिक अपराध शाखा (EOW) से दिया जाएगा. केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी टॉप्स सिक्युरिटी ग्रुप  की मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक (Pratap Sarnaik) को घेरने की कोशिश में है तो मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने अब मामले में शिकायतकर्ता रमेश अय्यर के खिलाफ ही जांच शुरू कर दी है. केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक को घेरना शुरू किया तो मुंबई पुलिस की EOW ने मामले के शिकायतकर्ता के खिलाफ ही जांच शुरू कर दी है. जानकार इसे केंद्र और राज्यों के बीच जारी जंग में एक नई शुरुआत के तौर पर देख रहे हैं.

राजनैतिक विश्लेषक निरजंन परिहार का कहना है कि केंद्र सरकारें अक्सर अपनी राजनीतिक विरोधी राज्य सरकारों को दबाने के लिए अपनी जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करती रही हैं, लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है कि कोई राज्य सरकार अपनी जांच एजेंसी के जरिए केंद्र को जवाब दे रही है. मुझे लगता है यह मामला बाकी राज्यों को भी रास्ता दिखा रहा है कि कैसे केंद्र के दबाव को रोका जा सकता है.

टॉप्स सिक्युरिटी की जांच कर रही ED ने शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक को समन किया है. आरोप है कि टॉप्स सिक्युरिटी ने एमएमआरडीए  में कॉन्ट्रैक्ट के 70 फीसदी गार्ड तैनात करके 100 फीसदी का बिल बनाया. इसे पास कराने का काम अमित चांदोले का था और उसका कट प्रताप सरनाईक को जाता था. लेकिन अब मुंबई पुलिस की EOW ने ED में शिकतकर्ता रमेश अय्यर के खिलाफ ही जांच शुरू कर दी है. 

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बीजेपी का आरोप है कि ठाकरे सरकार अपने विधायक को बचाने के लिए ऐसा कर रही है. ईडी केंद्रीय जांच एजेंसी है जो मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करती है जबकि EOW मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा है जो धोखाधड़ी और गबन के आरोपों की जांच करती है. दोनों ही जांच एजेंसियों की जांच का अधिकार और मकसद भले अलग है लेकिन मामला शिवसेना विधायक से जुड़ा है इसलिए इसे ऐसे राजनीतिक दांवपेंच की नजर से देखा जा रहा है जो दूसरे गैर बीजेपी राज्यों को भी राह दिखाएगा.