महाराष्ट्र के गांवों में पंचायत नेट कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट का लोगों को कोई फायदा नहीं

पीएम मोदी ने 1000 दिन में 6 लाख गांवों में ऑप्टिकल फाइबर बिछाने का ऐलान किया, स्मार्ट फोन सिर्फ 24 प्रतिशत लोगों के पास

महाराष्ट्र के गांवों में पंचायत नेट कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट का लोगों को कोई फायदा नहीं

प्रतीकात्मक तस्वीर

मुंबई:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 15 अगस्त को लाल किले पर अपने भाषण में अगले 1000 दिनों में 6 लाख गांवों में ऑप्टिकल फाइबर (Optical Fibre) पहुंचाने का ऐलान किया है. देश में ऐसे कई गांव हैं जहां पर पंचायत नेट कनेक्टिविटी के तहत इंटरनेट और वाईफाई (Wifi) सुविधा पहुंचाई गई है, पर ज़मीनी हकीकत यह है कि इसका ग्रामीणों को कोई खास फायदा होता नजर नहीं आ रहा है. महाराष्ट्र (Maharashtra) के गांवों में लगे पंचायत नेट कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट का लोगों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है. आम आदमी को इंटरनेट की सुविधा नहीं मिल पा रही है. 

पीएम मोदी ने कहा था कि साल 2014 से पहले देश की सिर्फ 5 दर्जन पंचायतें ऑप्टिकल फाइबर से जुड़ी थीं. बीते पांच साल में देश में डेढ़ लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा गया है. आने वाले एक हजार दिन में इस लक्ष्य को पूरा किया जाएगा. आने वाले 1000 दिन में देश के हर गांव यानी 6 लाख गांवों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा जाएगा.

महाराष्ट्र के अहमदनगर के पुणताम्बा गांव में सड़क की हालात ठीक नहीं है पर साल 2018 में यहां इस प्रोजेक्ट के तहत वाईफाई चौपाल शुरू किया गया. करीब 15 हज़ार की आबादी वाले इस गांव में इंटरनेट ज़रूर है, पर इसका इस्तेमाल गांव वाले नहीं, केवल पंचायत के लोग कर सकते हैं.

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यहां टावर पर वाईफाई ज़रूर लगा है पर इसका लाभ किसी को मिलता नज़र नहीं आ रहा. गांव में ग्रामीण हाईस्कूल मौजूद है और इसमें पढ़ने वाले 800 छात्रों में से करीब आधे बच्चों के पास मोबाइल फोन नहीं है. स्कूल की ओर से ऑनलाइन वीडियो बनाकर व्हाट्सऐप पर भेज दिया जाता है पर इस गांव में निजी मोबाइल इंटरनेट की सुविधा भी खराब है, लिहाज़ा इसका असर छात्रों के पढ़ाई पर पड़ रहा है.

ग्राम पंचायतों में इस योजना को लागू करने का मुख्य कारण गांव में इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराना है ताकि लोग सरकारी स्वास्थ्य, पढ़ाई और खेती से जुड़ी वेबसाइट का इस्तेमाल कर सकें. गांव में वाईफाई चौपाल मौजूद है, पर इसकी जानकारी किसी को नहीं है.

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एक रिपोर्ट के अनुसार देश भर में केवल 24 फीसदी लोगों के पास स्मार्टफोन मौजूद हैं. 2017-18 में ग्रामीण विकास मंत्रालय के सर्वे के अनुसार 47 फीसदी ग्रामीण भाग में 12 घंटे से ज़्यादा बिजली उपलब्ध है, 33 फीसदी घरों में 9 से 12 घंटे और 16 फीसदी घरों में 1 से 9 घंटे बिजली उपलब्ध है. 2017-18 नेशनल सैंपल सर्वे के अनुसार देशभर में 24 फीसदी घरों में इंटरनेट सुविधा उपलब्ध है. केवल 8 फीसदी घरों में कंप्यूटर और इंटरनेट की सुविधा मौजूद है. तो ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी है कि सरकार की ओर से बड़ी-बड़ी योजनाओं का ऐलान ज़रूर किया जा रहा है पर क्या ज़मीनी स्तर पर इसके लिए ज़रूरी बुनियादी ढांचा मौजूद है?