महाराष्ट्र : प्रकाश अम्बेडकर राज्यपाल से मिले, लगाई गुहार- राष्ट्रपति शासन लगने से बचाएं

वर्ष 2014 में 8 नवंबर को प्रोटेम स्पीकर को शपथ दिलाई गई थी, इसलिए उसी दिन को विधानसभा का गठन का दिन माना जाता है

महाराष्ट्र : प्रकाश अम्बेडकर राज्यपाल से मिले, लगाई गुहार- राष्ट्रपति शासन लगने से बचाएं

प्रकाश अम्बेडकर ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात की.

खास बातें

  • 3-4 सदस्यों का शपथ दिलाकर संवैधानिक संकट से बचा जा सकता है
  • अगर ऐसा नहीं हुआ तो राष्ट्रपति शासन लगाने के अलावा कोई चारा नहीं
  • राष्ट्रपति शासन लगने के बाद छह माह तक कार्यवाहक सरकार चल सकती है
मुंबई:

महाराष्ट्र की वंचित बहुजन आघाडी (गठबंधन) के प्रमुख प्रकाश अम्बेडकर ने गुरुवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्‍यारी से मुलाकात की. उन्होंने राज्यपाल से कहा कि वे राज्य में राष्ट्रपति शासन लगने से बचाने के लिए उचित कदम उठाएं. वर्ष 2014 में 8 नवंबर को प्रोटेम स्पीकर को शपथ दिलाई गई थी, इसलिए उसी दिन को विधानसभा का गठन का दिन माना जाता है.अम्बेडकर ने कहा कि इसके लिए जो नए विधायक आए हैं उनमें से 3-4 सदस्यों का शपथ ग्रहण कराकर संवैधानिक संकट से बचा जा सकता है. अगर ऐसा नहीं करते हैं तो फिर राष्ट्रपति शासन लगाने के अलावा कोई चारा नहीं है.

प्रकाश अम्बेडकर ने यह भी कहा कि कार्यवाहक सरकार बन सकती है लेकिन राष्ट्रपति शासन लगने के बाद. क्या यही सरकार आगे कार्यवाहक के तौर पर काम कर सकती है? प्रकाश अम्बेडकर का कहना है कि हां, छह महीने तक काम कर सकती है.

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दूसरी तरफ महाराष्ट्र में बीजेपी (BJP) और शिवसेना (Shiv Sena) के बीच सरकार के गठन को लेकर अभी भी तनाव चल रहा है. बीजेपी नेता सुधीर मुनगंटीवार (Sudhir Mungantiwar) और चंद्रकांत पाटिल (Chandrakant Patil) गुरुवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्‍यारी (Bhagat Singh Koshyari) से मिले. राज्यपाल से मिलने के बाद महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि सरकार बनाने में जो देरी हो रही है उसके बारे में राज्यपाल को जानकारी दी और क़ानूनी प्रावधानों पर बात की. महाराष्‍ट्र में सरकार गठन की डेडलाइन खत्‍म होने में अब 48 घंटे से भी कम वक्‍त बचा है.

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वहीं मातोश्री पर शिवसेना विधायकों की अहम बैठक हुई. ख़बर ये भी है कि शिवसेना अपने सभी विधायकों को एकजुट रखने के लिए उन्हें इस बैठक के बाद किसी होटल में ले गई है. उधर बीजेपी द्वारा 182 विधायकों के समर्थन का दावा करने की खबरों के बाद शिवसेना ने गुरुवार को अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए जरूरी कदम उठाए. सामना के एक संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि विधायकों को बैग भरकर पैसे दिए जाने के प्रस्‍ताव मिल रहे हैं.

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