अजित पवार ने क्यों छोड़ा चाचा शरद का साथ? पढ़ें- इनसाइड स्टोरी

विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रमुख शरद पवार के एक अन्य भाई के पोते रोहित पवार ने जीत दर्ज की. जानकारों की मानें तो रोहित के उदय से अजित पवार (Ajit Pawar) के अंदर असुरक्षा की भावना और बढ़ी.

अजित पवार ने क्यों छोड़ा चाचा शरद का साथ? पढ़ें- इनसाइड स्टोरी

अजित पवार और शरद पवार (फाइल फोटो)

खास बातें

  • अजित पवार बन गए हैं महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम
  • चाचा शरद पवार ने अजित के फैसले से किया खुद को अलग
  • सुप्रिया सुले ने कहा कि पवार परिवार में दरार पड़ गई है
नई दिल्ली :

बीजेपी ने महाराष्ट्र में रातोंरात बाजी पलट दी और बड़ा उलटफेर करते हुए राज्य में सरकार बना ली. पार्टी के नेता देवेंद्र फडणवीस जहां दूसरी बार सीएम बने, तो वहीं, एनसीपी नेता अजित पवार (Ajit Pawar)  ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. हालांकि एनसीपी प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने अजित के इस फैसले से खुद को अलग कर लिया है और उनपर कार्रवाई करते हुए उन्हें विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया है. अजित की जगह जयंत पाटिल को NCP विधायक दल का नेता बनाया गया है. शरद पवार के साथ-साथ उनकी बेटी सुप्रिया सुले ने भी अजित पर निशाना साधा है और उन्होंने कहा कि पार्टी और परिवार बिखर चुका है. दरअसल, पवार परिवार में कलह की शुरुआत अजित के बीजेपी के साथ जाने से नहीं हुई है, बल्कि इसकी नींव तो 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान ही पड़ गई थी. बाद में विधानसभा चुनाव के वक्त पवार परिवार में विवाद खुलकर सामने आ गया. 

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लोकसभा चुनाव के दौरान अजित पवार (Ajit Pawar) के बेटे को टिकट देने के मसले पर एनसीपी के अंदर तकरार की स्थिति पैदा हो गई. पहले तो अजित के बेटे को टिकट देने से इनकार कर दिया गया और बाद में वह टिकट मिलने के बाद भी हार गए. बताया जाता है कि इस पूरे घटनाक्रम से अजित पवार काफी नाराज हुए और कहा कि अगर उनके बेटे को समय से टिकट मिलता परिणाम कुछ और होते. दूसरी तरफ, विधानसभा चुनाव के वक्त भी टिकट बंटवारे के मुद्दे पर पार्टी के अंदर मतभेद की स्थिति दिखी. वहीं, विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रमुख शरद पवार के एक अन्य भाई के पोते रोहित पवार ने जीत दर्ज की. जानकारों की मानें तो रोहित के उदय और विधानसभा चुनाव में उनकी जीत से अजित पवार के अंदर असुरक्षा की भावना और बढ़ी. इसके अलावा कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों का दावा है कि बीजेपी ने अजित पवार को ब्लैकमेल किया, क्योंकि ईडी मनी लॉन्डरिंग केस में अजित के खिलाफ जांच कर रही है और उनपर कार्रवाई की तलवार लटकी है.  

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बैठक छोड़कर निकल गए थे अजित
पवार परिवार में कलह की एक झलक पिछले सप्ताह भी देखने को मिली थी जब कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के बीच गठबंधन की कवायद चल रही थी. गठबंधन पर चर्चा के लिए शरद पवार के निवास ‘‘सिलवर ओक'' में एनसीपी की एक बैठक बुलाई गई थी, लेकिन इस बैठक से अजित पवार यह कहते हुए निकल आए कि कांग्रेस के साथ प्रस्तावित बैठक रद्द हो गई है और वह अपने विधानसभा क्षेत्र बारामती जा रहे हैं. हालांकि, बाद में यह बैठक हुई और अजित नेता ने कहा कि उन्होंने मीडिया को दूर रखने के लिए यह कदम उठाया था. 

अजित के साथ कितने विधायक, अभी साफ नहीं
अजित पवार भले ही महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम बन गए हों, लेकिन उनके साथ एनसीपी के कितने विधायक हैं, यह अभी साफ नहीं है. एनसीपी के कुल 54 विधायक हैं और इनमें से अजित के समर्थन वाले विधायकों ने अभी पत्ता नहीं खोला है. एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार का दावा है कि अजित पवार के शपथ लेने के दौरान सिर्फ एक दर्जन विधायक ही उनके साथ थे, जिसमें से तीन पार्टी के पास वापस आ चुके हैं और दो अन्य वापस आ सकते हैं.  

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किसी दल को नहीं मिला था बहुमत
आपको बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों के लिए 21 अक्टूबर को चुनाव हुए थे और 24 अक्टूबर को परिणाम आए थे. चुनाव में बीजेपी को 105, शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं. किसी भी पार्टी या गठबंधन के सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करने के बाद 12 नवंबर को  राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था. 

VIDEO : अजित पवार के फैसले से खुश नहीं एनसीपी

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