आइए जानें महात्मा गांधी और उनके जीवन से जुड़ी महिलाओं के बारे में

आज 2 अक्टूबर को जब देश महात्मा गांधी को उनके जयंती के दिन याद कर रहा है. तब एक बार उनके जीवन से जुड़ी महिलाओं के बारे में बात होना भी लाजमी है. 

आइए जानें महात्मा गांधी और उनके जीवन से जुड़ी महिलाओं के बारे में

महात्मा गांधी.

नई दिल्ली:

मोहनदास करमचंद गांधी, या कहें महात्मा गांधी. देश की आजादी के लिए सत्य और अहिंसा को भी हथियार बनाया जा सकता है, यह बात अगर दुनिया को किसी ने सिखाई है तो वह हैं महात्मा गांधी. गांधी जी ने केवल  इन्हीं दो हथियार के दम पर देश को आजाद करने में जो भूमिका अदा की उसे यह देश कभी भुला नहीं सकता है. जिस समय महात्मा गांधी ने इन दो मानवीय गुणों को आजादी के लिए हथियार के रूप में चुना तब दुनिया के किसी भी कोने में ऐसा सोचा जाना भी किसी पागलपन के अलावा कुछ और नहीं था. लेकिन महात्मा गांधी यह साबित ही नहीं किया बल्कि दुनिया को यह मंत्र भी दिया कि सत्य और अहिंसा के दम पर बड़ी से बड़ी और मजबूत सत्ता को उखाड़ फेंका जा सकता है. 

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ और 78 की उम्र में उनकी हत्या नाथूराम गोडसे ने कर दी. जब उनकी हत्या हुई तब उनके साथ मनुबेन और सुशीला नायर उनके साथ थीं.

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गांधी जी के महात्मा गांधी और फिर बापू बनने के सफर में उनका साथ कई महिलाओं ने दिया. इन महिलाओं के बारे में जानने की हमेशा से देशवासियों में उत्सुकता बनी रही है. आज 2 अक्टूबर को जब देश महात्मा गांधी को उनके जयंती के दिन याद कर रहा है. तब एक बार उनके जीवन से जुड़ी महिलाओं के बारे में बात होना भी लाजमी है. 

कस्तूरबा गांधी 
सबसे पहले बात कस्तूरबा गांधी की. कस्तूर बा की मोहनदास गांधी के जीवन में बड़ी अहम भूमिका रही है. गांधी जी के पोते अरुण गांधी ने तो अपनी किताब में यहां तक दावा किया है कि मोहनदास को महात्मा गांधी बनाने में कस्तूरबा का बहुत बड़ा योगदान है. मोहनदास के जीवन में कस्तूर की एंट्री तब हुई जब मोहनदास केवल 13 साल के थे और कस्तूर 14 साल की थीं. शादी के बाद कस्तूर का नाम कस्तूरबा पड़ा गया. कस्तूबा गांधी ने बापू के हर आंदोलन में उनका पूरा साथ दिया. इतना ही नहीं वे खुद एक राजनीतिक कार्यकर्ता और नागरिकों के हक के लिए लड़ने वाली भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं.

मनुबेन
महात्मा गांधी ने ज्यों ज्यों देश की सेवा में अपने तन मन धन न्योछावर किया और लोगों में उनकी बात और मंत्र का असर दिखने लगा वैसे वैसे हजारों की संख्या में लोग उनसे जुड़ते गए. गांधी का काम और नाम देश दुनिया में देखा और सुना जाने लगा. कई लोग निस्वार्थ सेवा भावना से गांधी जी के साथ जुड़े. उनमें से एक थीं मनुबेन. मनुबेन गांधी जी की परपोती थीं. गांधी जी के साथ वह तब जुड़ीं जब वह केवल 17 वर्ष की थीं. जब गांधी जी की हत्या हुई तब उनके साथ मनुबेन भी थीं. मनुबेन महात्मा गांधी के विश्वासपात्रों में एक थीं जो आखिरी 2 साल में 'सहारा' बनकर साये की तरह महात्मा गांधी के साथ रहीं. 1946 में सिर्फ 17 वर्ष की आयु में यह महिला महात्मा की निजी सहायक (पर्सनल असिस्टेंट) बनीं और उनकी हत्या होने तक लगातार उनके साथ रही. फिर भी मनुबेन के नाम से मशहूर मृदुला गांधी ने 40 वर्ष की उम्र में अविवाहित रहते हुए दिल्ली में गुमनामी में दम तोड़ा.

सुशीला नायर
गांधीजी की निजी सहायक (पर्सनल सेक्रेटरी) प्यारेलाल की पत्नी की बहन थीं सुशीला नायर. अपनी बहन के जरिए ही  गांधी जी के प्रभाव में सुशीला नायर आईं. वे गांधी जी से काफी प्रभावित थीं और बाद में उनकी निजी डॉक्टर बनीं. सुशीला नायर के लिए गांधी उनके जीवन का केंद्र रहे. सुशीला भी उन युवा महिलाओं में शामिल हैं जो गांधी जी के काफी करीब थीं. 30 जनवरी 1948 को जब गांधी जी की नाथूराम गोडसे ने हत्या की थी तब सुशीला नायर उनके साथ थीं.

आभाबेन
आभाबेन महात्मा गांधी के भतीजे कनु गांधी की पत्नी थीं. कनु गांधी बापू के फोटोग्राफर भी थे. उन्होंने गांधी जी की काफी तस्वीरें खीचीं थी. आभा के जीवन में गांधी जी का काफी प्रभाव था क्योंकि कनु बापू के साथ रहते थे. ऐसे में आभा भी हर समय आश्रम में उनकी देखभाल करती थी. जब नाथूराम गोडसे ने गांधी को गोली मारी तब आभा बेन भी वहां पर मौजूद थीं.

मीराबेन
मीरा बेन का मूल नाम 'मैडलिन स्‍लेड' था जो कि एक ब्रिटिश सैन्‍य अधिकारी की बेटी थीं. इन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी जी के सिद्धांतों से प्रभावित होकर खादी का प्रचार किया. मीरा ने गांधी जी के लिए अपना देश छोड़ दिया. मीरा बेन का असली नाम मैडलिन स्‍लेड था. गांधी  जी ने ही उनका नाम मीरा बेन रखा था. वे कृष्ण भक्त थीं. वैसे मीरा खुद को गांधी जी की भक्त मानती थी. उन्होंने हर पल गांधी जी का साथ दिया.
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सरलादेवी चौधरानी
सरला देवी चौधरानी गांधी जी से 1919 में मिलीं. वह गांधी जी के विचार और कामों से काफी प्रभावित थीं. चौधरानी जी गांधी जी का ध्यान रखा करती थीं. गांधी जी सरला को महान शाक्ति कहकर बुलाते थे.


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