रोडरेज में शाहनवाज की पीट-पीटकर हत्या

रोडरेज में शाहनवाज की पीट-पीटकर हत्या

नई दिल्ली:

किसी को अंदेशा नहीं था कि मौत इस तरीके से आएगी और शाहनवाज हमेशा के लिए खामोश हो जाएगा। रविवार की रात करीब 11:30 बजे शाहनवाज को कुछ कार सवार लोगों ने पीटपीट कर मार डाला, केवल इसलिए कि शाहनवाज की बाइक आरोपियों की कार से टकरा गई थी। वारदात के वक्त शाहनवाज अपनी मां के घर से अपने दूसरे घर जा रहा था और साथ में उसके दोनों बेटे भी थे।

शाहनवाज के बेटे की मानें तो उसकी बाइक एक आई-10 कार से मामूली रूप से टकराई। टक्कर के बाद कार के अंदर से 2 लोग निकले और उसके पिता की पिटाई शुरू कर दी। उसके बाद स्कूटी में सवार तीन लोग पीछे से और आए और वो भी मारपीट में शामिल हो गए। बेटे का कहना है कि उसने भागकर आसपास खड़े लोगों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने बचाने की कोशिश नहीं की। उसके बाद उसने पास ही में खड़े 2 पुलिसकर्मियों से भी मदद मांगी, लेकिन पुलिसवाले वहां से गायब हो गये। हांलाकि इलाके के डीसीपी परमादित्य इन आरोपों से नकार रहे हैं, लेकिन ये भी कह रहे हैं कि वो इस आरोप की जांच कराएंगे।

ये वारदात तुर्कमान गेट के चौराहे पर हुई। यहां से पुलिस चौकी महज चंद कदमों की दूरी पर है और सामने एक पुलिस पोस्ट भी है। लेकिन फिर भी आरोपियों का मारपीट करने के बाद भाग जाना पुलिस की कार्यशैली पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। घटना के बाद नाराज लोगों ने खासा हंगामा किया, गाड़ियों से तोड़फोड़ हुई और आगजनी भी हुई। सोमवार को तकरीबन पूरे दिन इलाके में लंबा ट्रैफिक जाम रहा।

पुलिस तुर्कमान गेट पर लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगाल रही है। इस मामले में एक आरोपी वसीम को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि 4 और लोगों की तलाश जारी है। इनमें असीम पहलवान का भी नाम है, जो इलाके का घोषित अपराधी है। लोगों का आरोप है कि ये सभी आरोपी ना सिर्फ आम आदमी पार्टी के करीबी हैं बल्कि इलाके के दबंग भी हैं।

हालांकि इस मामले में आम आदमी पार्टी के विधायक असीम अहमद पुलिस कमिश्नर से मिलने भी गए। उन्होंने कहा कि असीम पहलवान से उनका कोई संबंध नहीं है और कई लोग जो असीम पहलवान के साथ उनके पोस्टर लेकर दिखा रहे हैं वो फर्जी हैं।

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दिल्ली में 80 लाख के करीब वाहन हैं और इनमें कई वाहन चालक ट्रैफिक जाम में या यातायात के नियमों को तोड़ते हुए अपना आपा खो देते हैं। दिल्ली पुलिस के आंकड़े कहते हैं कि दिल्ली में हर साल रोडरेज की 30 से 40 घटनाएं होती हैं, जिनमें कई बार ट्रैफिक पुलिसकर्मी भी शहीद हो जाते हैं।