यह ख़बर 07 नवंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

मणिपुर राजमार्ग की नाकेबंदी के 100 दिन हुए पूरे

खास बातें

  • मणिपुर में पिछले 100 दिन से जारी आर्थिक नाकेबंदी की वजह से लोगों का जीना मुहाल हो गया है।
इम्फाल:

मणिपुर में पिछले 100 दिन से जारी आर्थिक नाकेबंदी की वजह से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। आलम यह है कि आवश्यक वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं जिसका असर आम जनजीवन पर साफतौर पर देखा जा सकता है। ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले कुकी समुदाय की ओर से आंदोलन समाप्ति की घोषणा की गई थी, लेकिन नगा समुदाय की सरकार से सहमति नहीं बन पाने की वजह से आर्थिक नाकेबंदी अभी भी जारी है। राज्य सरकार के कमजारे रवैये और केंद्र सरकार की असंवेदनशीलता के चलते दो जनजातीय समुदायों की लड़ाई में आम लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मणिपुर के नागरिकों की मानें तो इस इलाके में कानून नाम की कोई चीज नहीं रह गई है और व्यवस्था पूरी तरह से टूटने के कागार पर पहुंच गई है। आर्थिक नाकेबंदी की वजह से राज्य में अराजकता का माहौल पैदा हो गया है। अस्पतालों को एक तरफ जहां ऑक्सीजन सिलेंडरों और जीवन रक्षक दवाओं की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है वहीं दूसरी ओर आवश्यक वस्तुओं और पेट्रोलियम उत्पादों की कालाबाजारी से आम आदमी पूरी तरह से त्रस्त है। एक सामजिक कार्यकर्ता टी. सिंह ने कहा, "आर्थिक नाकेबंदी की वजह से भोजन, दवाइयों, पेट्रोलियम उत्पादों के अलावा अन्य आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गई है। राज्य में बहुत जल्द ये सारी चीजें पूरी तरह से समाप्त हो जाएंगी।" कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि आर्थिक नाकेबंदी देश के इतिहास की सबसे बड़ी नाकेबंदी है। नाकेबंदी की वजह से अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है तथा 10 सरकारी इमारतों को जला दिया गया है। ज्ञात हो कि सदर हिल्स जिला मांग समिति (एएचडीडीसी) ने सदर हिल्स को कुकी बाहुल्य जिला बनाने की मांग को लेकर दो राष्ट्रीय राजमार्गों इम्फाल-दीमापुर-गुवाहाटी (एनएच-39) और इम्फाल-जारीबाम-सिल्चर (एचएच 53) को पूरी तरह से अवरुद्ध कर दिया था। दूसरी ओर, राज्य नगा समुदाय सदर हिल्स जिले के विरोध में 21 अगस्त से दोनों राजमार्गों को अवरूद्ध कर दिया था। यह बंदी युनाइटेड नगा परिषद (यूएनसी) के नेतृत्व में की गई है। दोनों जनजातीय समुदायों के बीच चल रहे आपसी संघर्ष की वजह से मणिपुर की अधिकत्त आबादी प्रभावित हुई है। तीन बच्चों की मां और पेशे से एक शिक्षक रुमू देवी ने कहा, "आर्थिक नाकेबंदी की वजह से लोग 200 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल और एक सिलेंडर 2,000 रुपये में मिल रहा है। आलू की कीमत 20-25 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है।" एसएचडीडीसी की ओर से पिछले सप्ताह नाकेबंदी हटाने की घोषणा के बाद ऐसे आसार बने थे कि अब स्थितियां सामान्य हो जाएंगी लेकिन दूसरी ओर नगा समुदाय के अपने रुख पर कायम रहने के कारण लोगों की परेशानियां कम नहीं हुईं। मणिपुर सरकार के प्रवक्ता ओर वरिष्ठ मंत्री बिरेन सिंह ने कहा, "जब मैं लोगों को पट्रोल पम्पों पर पेट्रोल और डीजल खरीदने के लिए लम्बी कतारों में देखता हूं तो बहुत दुखी होता हूं और उनमें से ज्यादातर लोग केवल एक या दो लीटर वाले होते हैं।"


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