यह ख़बर 19 मार्च, 2012 को प्रकाशित हुई थी

इटली के दो नागरिकों की रिहाई के बदले नक्सलियों ने रखी शर्तें

खास बातें

  • ओडिशा में नक्सलियों ने अगवा किए गए दो इटली के नागरिकों को छोड़ने के बदले नई शर्तें रखी हैं। नक्सलियों की मांग है कि पहले उनके तीन लीडर्स को छोड़ा जाए।
भुवनेश्वर:

ओडिशा में नक्सलियों ने अगवा किए गए दो इटली के नागरिकों को छोड़ने के बदले नई शर्तें रखी हैं। नक्सलियों की मांग है कि पहले उनके तीन लीडर्स को छोड़ा जाए।

नक्सलियों ने अपने जिन तीन लीडर्स को रिहा करने की मांग रखी है उनके नाम है गणनाथ पात्रा,  शुभश्री पांडा और आशुतोष सोरेन। इसके अलावा नक्सलियों ने कॉम्बिंग ऑपरेशन भी रोकने को कहा है। राज्य के गृह सचिव यूएन बेहरा ने कहा कि सरकार बोसुस्को पाओलो (54) और क्लौडिओ कोलैंजेलो (61) की सुरक्षित रिहाई के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है। दोनों को 14 मार्च को ही अगवा कर लिया गया था, लेकिन इसकी जानकारी शनिवार रात प्रकाश में आई थी।

मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने रविवार को कहा था कि सरकार नक्सलियों के साथ बातचीत के लिए तैयार है। उन्होंने अपहर्ताओं से यह भी अपील की थी कि उन्हें सरकार से सम्पर्क करना चाहिए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बोसुस्को पाओलो और क्लौडिओ कोलैंजेलो दो भारतीयों- संतोष मोहराना और कार्तिक परीदा के साथ 12 मार्च को चार दिवसीय यात्रा पर कंधमाल गए थे। दोनों भारतीय पुरी के निवासी है। 14 मार्च की सुबह वे एक नाले के पास बैठे हुए थे। उसी दौरान वहां छह-सात बंदूकधारी पहुंचे। वे चारों के हाथ बांध दिए और आंखों पर पट्टी बांध दी और लेकर जंगल चले गए।

नक्सलियों ने कार्तिक और संतोष को तो 16 मार्च को रिहा कर दिया, लेकिन इटली के नागरिकों को बंधक बनाए रखा। पुरी के जिला पुलिस अधीक्षक अनूप कुमार साहू ने कहा कि प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं और अपहर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। नक्सली नेता सब्यसाची पंडा ने रविवार तड़के स्थानीय मीडिया को भेजे एक आडियो संदेश में कहा था कि पर्यटकों को तब अगवा किया गया, जब उन्हें एक नाले के पास कुछ जनजातीय महिलाओं की आपत्तिजनक तस्वीरें उतारते पाया गया। पंडा ने मांग की है कि सरकार नक्सल विरोधी अभियानों को रोक दे और उनकी मांगें पूरी करे।

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नक्सली नेता ने यह भी कहा है कि उनके पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि टूर ऑपरेटर दूरवर्ती इलाकों मे विदेशी पर्यटकों को भ्रमण की अनुमति हासिल करने के लिए प्रशासन को रिश्वत देते हैं।