मार्शल अर्जन सिंह का अंतिम संस्कार, फ्लाईपास्ट और बंदूकों की सलामी के साथ दी गई विदाई

अर्जन सिंह वर्ष 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के नायक थे और इकलौते वायु सेना अधिकारी थे जिन्हें ‘फाइव स्टार रैंक’ दिया गया था.

मार्शल अर्जन सिंह का अंतिम संस्कार, फ्लाईपास्ट और बंदूकों की सलामी के साथ दी गई विदाई

मार्शल अर्जन सिंह को पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने दी श्रद्धांजलि

खास बातें

  • राजकीय सम्मान के साथ मार्शल अर्जन सिंह का अंतिम संस्कार
  • दिल्ली में आधा झुका रहेगा राष्ट्रीय ध्वज
  • 98 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन
नई दिल्ली:

भारतीय वायुसेना के दिवंगत मार्शल अर्जन सिंह को अंतिम विदाई दी गई.  उनके पार्थिव शरीर को बरार स्क्वायर (अंत्येष्टि स्थल) लाया गया जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे. तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद थे. फ्लाईपास्ट और बंदूकों की सलामी के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई.  इस दौरान उनके सम्मान में राजधानी में सभी सरकारी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा. 
VIDEO: क्यों खास हैं मार्शल अर्जन सिंह?


इसके पहले रविवार को उनके आवास पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण समेत तमाम गणमान्य लोग पहुंचे थे. 98 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से उनका शनिवार को निधन हो गया था.
 

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10 प्वॉइंट्स में जानें 1965 की जंग के 'हीरो' मार्शल अर्जन सिंह को

अर्जन सिंह वर्ष 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के नायक थे और इकलौते वायु सेना अधिकारी थे जिन्हें ‘फाइव स्टार रैंक’ दिया गया था. उनका 98 वर्ष की उम्र में कल यहां निधन हो गया. उन्हें 44 वर्ष की आयु में ही भारतीय वायु सेना का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी गई जिसे उन्होंने शानदार तरीके से निभाया. वर्ष 1965 की लड़ाई में जब भारतीय वायु सेना अग्रिम मोर्चे पर थी तब वह उसके प्रमुख थे.

निडर पायलट और सैन्य नेतृत्व के महारथी थे मार्शल अर्जन सिंह

अलग-अलग तरह के 60 से भी ज्यादा विमान उड़ाने वाले सिंह ने भारतीय वायु सेना को दुनिया की सबसे शक्तिशाली वायु सेनाओं में से एक बनाने और विश्व में चौथी सबसे बड़ी वायु सेना बनाने में अहम भूमिका निभाई थी. बहुत कम बोलने वाले व्यक्ति के तौर पर पहचाने जाने वाले सिंह ना केवल निडर लड़ाकू पायलट थे बल्कि उनको हवाई शक्ति के बारे में गहन ज्ञान था जिसका वह हवाई अभियानों में व्यापक रूप से इस्तेमाल करते थे. उन्हें 1965 में देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था.

जब अनुशासित सैन्य अधिकारी अर्जन सिंह व्हील चेयर छोड़कर उठ खड़े हुए...


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