'मार्शल ऑफ द इंडियन एयरफोर्स' अर्जन सिंह का 98 वर्ष की उम्र में निधन

अर्जन सिंह (98) भारतीय वायुसेना के एक मात्र अधिकारी रहे जिनकी पदोन्नति पांच सितारा रैंक तक हुई.

'मार्शल ऑफ द इंडियन एयरफोर्स' अर्जन सिंह का 98 वर्ष की उम्र में निधन

भारत 1965 के जंग के हीरो को कभी नहीं भूलेगा....

खास बातें

  • 1965 के भारत-पाक युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी अर्जन सिंह ने
  • वायुसेना के एक मात्र अधिकारी जिनकी पदोन्नति पांच सितारा रैंक तक हुई
  • शनिवार सुबह सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया
नई दिल्ली:

भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह  का शनिवार को 98 वर्ष की उम्र निधन हो गया. उन्‍हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मार्शल ऑफ़ एयरफ़ोर्स अर्जन सिंह का निधन हो गया है. दिल्ली के आर-आर अस्पताल में उन्होंने आख़िरी सांस ली. वह 98 साल के थे. 1964 में वो वायु सेना के प्रमुख बने. उस समय उनकी उम्र थी महज़ 44 साल. उन्होंने 1965 में पाकिस्तान के साथ जंग के दौरान वायु सेना की कमान संभाली. 1971 में रिटायर होने के बाद कई बरसों तक वो बहुत ज़्यादा सक्रिय रहे. स्विटज़रलैंड में वो भारत के राजदूत रहे और केन्या में उच्चायुक्त. 1989 से 1990 के बीच वो दिल्ली के उप राज्यपाल भी रहे. अर्जन सिंह को उनके असाधारण योगदान के लिए 2002 में एयर फोर्स का मार्शल बनाया गया. वायु सेना के किसी भी अधिकारी को पहली बार 5 सितारा रैंक दी गई, फील्ड मार्शल के बराबर. अर्जन सिंह का जन्म उस वक्त हुआ जब पहला विश्व युद्ध खत्म हो रहा था.

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि मार्शल को शनिवार सुबह दिल का दौरा पड़ने के बाद सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षामंत्री निर्मला सीतारमन और सेना के तीनों अंगों के प्रमुख, जनरल बिपिन रावत, एडमिरल सुनील लांबा और एअर चीफ मार्शल बीरेंद्र सिहं धनोआ मार्शल अर्जन सिंह को देखने अस्पताल पहुंचे.

पाकिस्तान ने 1965 में ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम शुरू किया जिसमें उसने जम्मू कश्मीर के महत्वपूर्ण शहर अखनूर को निशाना बनाया, तब सिंह ने साहस, प्रतिबद्धता और पेशेवर दक्षता के साथ भारतीय वायु सेना का नेतृत्व किया.

VIDEO: नहीं रहे 1965 की जंग के हीरो मार्शल अर्जन सिंह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्जन सिंह के निधन पर शोक व्‍यक्‍त करते हुए कहा, 'भारत वायुसेना के मार्शल के दुर्भाग्यपूर्ण निधन पर दुख प्रकट करता है. हम देश के प्रति उनकी उल्लेखनीय सेवा को याद करते हैं.' उन्‍होंने कहा, 'अर्जन सिंह ने भारतीय वायुसेना की क्षमता के विकास पर ध्यान दिया, जिससे हमारी रक्षा क्षमताओं में इजाफा हुआ. भारत 1965 में अर्जन सिंह के शानदार नेतृत्व को कभी नहीं भूलेगा, जब भारतीय वायुसेना ने उल्लेखनीय कार्रवाई की.' पीएम मोदी ने कहा, 'कुछ समय पहले मैंने उनसे मुलाकात की थी और खराब सेहत के बावजूद उन्होंने सलामी देने के लिए खड़े होने का प्रयास किया जबकि मैंने मना किया था, उनका इस तरह का सैनिकों वाला अनुशासन था. उनके परिवार और उन सभी लोगों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं जो अतिविशिष्ट वायु सैन्य योद्धा और बेहतरीन इंसान अर्जन सिंह के निधन पर शोकाकुल हैं.'
 


रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने अस्‍पताल दौरा करने के बाद संवाददाताओं से कहा, "मुझे यह सूचना मिली थी कि वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह बीमार हो गए. उन्हें सुबह दिल का दौरा पड़ने का संदेह जताया गया जिसके बाद उन्हें इस अस्पताल में लाया गया. अस्पताल में डॉक्टर उनकी हालत को देखते हुए नियमित रूप से दौरा कर रहे थे, और इलाज के दौरान सिंह जवाब भी दे रहे थे."

रक्षा मंत्री ने कहा, "प्रधानमंत्री को सूचित किया गया था और वह 5 बजे यहां पहुंचे, प्रधानमंत्री ने परिवार से बात की, आईसीयू में गए, सिह की हालत गंभीर बताई जा रही है." तीनों सेनाओं के प्रमुखों ने भी अस्पताल का दौरा किया.

भारतीय सैन्य इतिहास के नायक रहे सिंह ने 1965 की लड़ाई में भारतीय वायुसेना का नेतृत्व किया था. पाकिस्तान ने 1965 में ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम शुरू किया जिसमें उसने अखनूर शहर को निशाना बनाया, तब सिंह ने साहस, प्रतिबद्धता और पेशेवर दक्षता के साथ भारतीय वायु सेना का नेतृत्व किया.

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