Ayodhya Verdict: पुनर्विचार याचिका के हिमायती हैं मुल्‍क के 99 फीसद मुस्लिम: मौलाना रहमानी

बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने रविवार कहा कि मुसलमानों को न्‍यायपालिका पर भरोसा है, इसीलिए अयोध्‍या मामले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा रही है, मगर बाबरी मस्जिद के फैसले के बाद वह भरोसा ‘कमजोर’ हुआ है.

Ayodhya Verdict: पुनर्विचार याचिका के हिमायती हैं मुल्‍क के 99 फीसद मुस्लिम: मौलाना रहमानी

प्रतीकात्मक तस्वीर

खास बातें

  • सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद न्‍यायपालिका पर भरोसा ‘कमजोर’ हुआ है
  • 99 फीसद मुसलमान चाहते हैं कि इस निर्णय पर पुनर्विचार की याचिका दाखिल हो
  • कहा- हमें आशंका है कि हमारी पुनर्विचार याचिका ठुकरा दी जाएगी.
लखनऊ:

देश में मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का मानना है कि बाबरी मस्जिद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद न्‍यायपालिका पर भरोसा ‘कमजोर' हुआ है और 99 फीसद मुसलमान चाहते हैं कि इस निर्णय पर पुनर्विचार की याचिका दाखिल की जाए. बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने रविवार कहा कि मुसलमानों को न्‍यायपालिका पर भरोसा है, इसीलिए अयोध्‍या मामले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जा रही है, मगर बाबरी मस्जिद के फैसले के बाद वह भरोसा ‘कमजोर' हुआ है. उन्‍होंने कहा ‘मुल्‍क के 99 फीसद मुसलमान यह चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाए. अगर यह समझा जा रहा है कि बहुत बड़ा तबका इस याचिका के विरोध में है, तो यह गलतफहमी है.' 

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मौलाना रहमानी ने एक सवाल पर कहा ‘हमें शुबहा (आशंका) है कि हमारी पुनर्विचार याचिका ठुकरा दी जाएगी, मगर इसका मतलब यह नहीं है कि हम इसे पेश भी न करें. यह हमारा कानूनी हक है. अदालत के फैसले की कई बातें एक-दूसरे को काटती हैं. कोई भी मुस्लिम या सुलझे हुए हिन्‍दू भाई दिल पर हाथ रखकर सोचें तो समझ जाएंगे कि बाबरी मस्जिद का फैसला कितना दुरुस्‍त है?' इस सवाल पर कि कई लोग कह रहे हैं कि मसले को यहीं खत्‍म कर दिया जाए, मौलाना ने कहा कि ये वो लोग हैं जिन्‍होंने मस्जिद के मुकदमे में अपना जहन नहीं लगाया, जिन्‍हें मस्जिद से कोई अमली दिलचस्‍पी नहीं है, जो खौफ की फिजा में जीते हैं और दूसरों को खौफजदा करना चाहते हैं. इसमें अच्‍छी खासी तादाद दानिशवरों (प्रबुद्ध वर्ग) की है.

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उन्‍होंने कहा, ‘अक्‍सर दानिशवर किस्‍म के लोग इस तरह की बातें करते हैं. ये लोग मैदान में कहीं नहीं रहते. वे मुसलमानों के मसले हल करने के लिए कोरी बातों के सिवा कुछ नहीं करते और उनके पास समस्‍याएं हल करने की कोई व्‍यवहारिक योजना नहीं है. वे मौके-ब-मौके मीडिया को बयान देकर मशहूर होते रहते हैं. इन लोगों से पूछा जाए कि उन्‍होंने मुसलमानों के भले के लिए क्‍या किया.' बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने गत नौ नवम्‍बर को अयोध्‍या मामले में फैसला सुनाते हुए विवादित स्‍थल पर भगवान राम का मंदिर बनवाने और मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्‍या में किसी प्रमुख स्‍थान पर पांच एकड़ जमीन देने के आदेश दिए थे. ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने पिछली 17 नवम्‍बर को अपनी आपात् बैठक में इस आदेश पर पुनर्विचार की याचिका दाखिल करने का फैसला किया था. 

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हालांकि मामले के प्रमुख पक्षकार रहे उत्‍तर प्रदेश सुन्‍नी सेंट्रल वक्‍फ बोर्ड ने पुनर्विचार याचिका नहीं दाखिल करने का निर्णय लिया है. मौलाना रहमानी ने आरोप लगाया कि पु‍नर्विचार याचिका दाखिल करने के इच्‍छुक अयोध्‍या निवासी मुस्लिम पक्षकारों को पुलिस ऐसा करने से जबरन रोक रही है. प्रशासन अपनी सफाई में झूठ बोल रहा है. उसकी बात पर भरोसा नहीं किया जा सकता. बोर्ड के सचिव जफरयाब जीलानी ने भी हाल में यही आरोप लगाए थे. मगर अयोध्‍या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने इन इल्‍जामात को गलत बताते हुए कहा था कि जीलानी के पास अगर सुबूत हों तो पेश करें.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)