क्या इस कानूनी दलील से मायावती कर पाएंगी कांग्रेस से पुराना हिसाब चुकता?

राजस्थान में सचिन पायलट और उनके साथ 18 विधायकों की बगावत का सामना कर रही कांग्रेस और सीएम अशोक गहलोत ने राज्यपाल को 102 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी देकर विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की है. दरअसल सीएम अशोक गहलोत विधानसभा सत्र शक्ति परीक्षण कराने चाहते हैं

क्या इस कानूनी दलील से मायावती कर पाएंगी कांग्रेस से पुराना हिसाब चुकता?

नई दिल्ली :

राजस्थान में सचिन पायलट और उनके साथ 18 विधायकों की बगावत का सामना कर रही कांग्रेस और सीएम अशोक गहलोत ने राज्यपाल को 102 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी देकर विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की है. दरअसल सीएम अशोक गहलोत विधानसभा सत्र शक्ति परीक्षण कराने चाहते हैं. लेकिन राज्यपाल को दी गई चिट्ठी में फ्लोर टेस्ट का कोई जिक्र नहीं है. लेकिन  हो सकता है सत्र के दौरान ही सरकार किसी पेडिंग बिल को पास कराने के लिए व्हिप जारी कर दे. ऐसी स्थित में सचिन पायलट और बागी विधायकों के लिए नई मुश्किल खड़ी हो सकती है. या तो वो सरकार के पक्ष में वोट करें या फिर दल बदल कानून का सामना करें. लेकिन इन सब कयासों के बीच कांग्रेस से इस समय दो-दो हाथ करने के लिए आमादा बीएसपी ने भी अपने उन 6 विधायकों के लिए व्हिप जारी कर दिया है जो कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं और जिनके विलय की मंजूरी भी विधानसभा अध्यक्ष की ओर से दी जा चुकी है. हालांकि इस विलय के खिलाफ बीजेपी विधायक मदन दिलावर की ओर से एक याचिका हाईकोर्ट में दी गई है.

वही बीएसपी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा है कि उनकी पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी है.  मिश्रा ने कहा, 'संविधान की दसवीं अनुसूची के पैरा चार के तहत पूरे देश में हर जगह समूची पार्टी का विलय हुए बगैर राज्य स्तर पर विलय नहीं हो सकता है.'अगर छह विधायक पार्टी व्हिप के खिलाफ जाकर मतदान करते हैं, तो वे विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य हो जाएंगे.

अब यहां पर कांग्रेस के सामने भी चुनौती खड़ी हो गई है क्योंकि सीएम गहलोत ने जिन 102 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी सौंपी है उसमें यह विधायक भी शामिल हैं. 200 सदस्यों वाली राजस्थान की विधानसभा में बहुमत के लिए 101- विधायक चाहिए. अगर इन बीएसपी के इन 6 विधायकों को हटा दें तो संख्या बचती है 96. आज जो इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है वह एकल बेंच में होगी. लेकिन राजस्थान में जिस तरह से सियासी पारा है हो सकता है अब ये और ऊपर तक जाए. कुल मिलाकर सीएम अशोक गहलोत की सरकार को अभी कई खतरे और चुनौतियां झेलनी पड़ जाएं.  

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यहां एक बात और ध्यान देने की है जब राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस बहुमत के लिए संघर्ष कर रही थी तो बीएसपी ने उसे समर्थन देने का फैसला किया था. लेकिन कांग्रेस ने बाद में इन विधायकों को शामिल कराके मायावती को बड़ा झटका दिया. मायावती ने उस समय कांग्रेस को धोखेबाज कहा था. ऐसा लग रहा है कि बीएसपी अब इस कानूनी दलील के जरिए कांग्रेस से उस धोखे का बदला लेने का मौका नहीं चूकना चाहती है.