#MeToo: मोदी सरकार ने खारिज किया मेनका गांधी का प्रस्ताव, रिटायर्ड जज नहीं मंत्रियों से जांच कराने की तैयारी

नरेंद्र मोदी सरकार (Modi govt) ने मी टू मुहिम ( #MeToo)  मामलों के तहत आ रहे यौन शोषण के मामलों की जांच रिटायर्ड जजों से नहीं बल्कि मंत्रियों के समूह से कराने की तैयारी की है.

#MeToo: मोदी सरकार ने खारिज किया मेनका गांधी का प्रस्ताव, रिटायर्ड जज नहीं मंत्रियों से जांच कराने की तैयारी

मेनका गांधी की फाइल फोटो.

खास बातें

  • मोदी कैबिनेट ने केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के प्रस्ताव को किया खारिज
  • मेनका गांधी ने रिटायर्ज जजों से मी टू मामलों की जांच का भेजा था प्रस्ताव
  • अब मोदी सरकार मंत्रियों के समूह से कराना चाह रही है जांच
नई दिल्ली:

मी टू मुहिम ( #MeToo)  के तहत तमाम हस्तियों पर लग रहे यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने रिटायर्ड जजों की कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया था. ताकि ऐसे सभी मामलों की जांच सेवानिवृत्त न्यायाधीश कर रिपोर्ट पेश करें और उसी आधार पर कार्रवाई हो. मगर नरेंद्र मोदी सरकार (Modi govt) की कैबिनेट ने केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी( Maneka Gandhi) के प्रस्ताव को खारिज करते हुए जजों से जांच की बात ठुकरा दी है. सरकारी सूत्र बता रहे हैं कि अब इसके स्थान पर सरकार  मंत्रियों का समूह( GOM) बनाने पर विचार कर रही है. यानी यौन शोषण के मामलों की जांच कराने के लिए अब केंद्र सरकार मंत्रियों के समूह का सहारा लेगी. मंत्रियों के समूह की रिपोर्ट पर ही सरकार ऐसे मामलों पर कार्रवाई और रोकथाम के लिए कदम उठाएगी. इस समूह की अध्यक्षता की कमान किसी महिला मंत्री को देने पर बात चल रही है.  बता दें कि महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी मी टू मामलों को लेकर काफी गंभीर रहीं. उन्होंने ऐसे मामलों की जांच कराने की बात कही थी. मेनका गांधी ने जजों की कमेटी का ऐलान किया था.

बताया जा रहा है कि सरकार मंत्रियों का समूह बनाकर कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकने से जुड़े कानूनों  की कमियों को दूर करना चाहती है. इससे पहले  Me Too के आरोपों से निपटने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तरफ से बनाई जा रही समिति को सरकार ने मंजूरी नहीं दी. दरअसल, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने MeToo अभियान में सामने आये यौन उत्पीड़न के आरोपों और मुद्दों को देखने के लिए शुक्रवार को रिटायर्ड जज की अगुवाई में विधि विशेषज्ञों की एक कमिटी बनाने का ऐलान किया था. बता दें कि मी टू मुहिम के तहत हर रोज यौन उत्पीड़न के कई मामलों का खुलासा हो रहा है. तमाम लड़कियां और महिलाएं अतीत में अपने साथ हुई यौन उत्पीड़न की घटनाओं को सोशल मीडिया पर साझा कर रहीं हैं. 

केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर भी फंसे
मी टू मुहिम के तहत यौन उत्पीड़न में फंसने वालr हस्तियों में सबसे चौंकाने वाला नाम एमजे अकबर का है. अपने जमाने के दिग्गज पत्रकार रहे एमजे अकबर मोदी सरकार में विदेश राज्य मंत्री रहते यौन उत्पीड़न के केस में फंसे. उन पर एक, दो, तीन नहीं बल्कि 16 महिला पत्रकारों ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं. जिस पर विपक्ष एमजे अकबर को पद से हटाने की मांग कर रहा है. मी टू में एमजे अकबर  के फंसने पर बीजेपी की मोदी सरकार असहजता का सामना कर रही है. हालांकि इस मामले में एमजे अकबर ने सबसे पहले आरोप लगाने वाली पत्रकार पर मानहानि का केस भी किया है. 

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वीडियो-विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने यौन शोषण के आरोपों पर दी सफाई 
 


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