प्रवासी मजदूरों को तय समय सीमा में उनके घर भेजा जाए : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि यह भी सुनिश्चित करें कि किसी भी प्रवासी को वापस जाने के लिए कुछ भी भुगतान न करना पड़े

प्रवासी मजदूरों को तय समय सीमा में उनके घर भेजा जाए : सुप्रीम कोर्ट

प्रतीकात्मक फोटो.

नई दिल्ली:

प्रवासी मजदूरों को घर भेजने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रवासियों को तय समय सीमा के भीतर घर भेजें. कोर्ट ने केंद्र, राज्यों से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा. अदालत ने कहा कि 9 जून का हमारा आदेश बहुत स्पष्ट है कि सभी प्रवासियों को 15 दिनों के भीतर घर पहुंचाना होगा. ऐसा नहीं है कि इस प्रक्रिया को पूरा करना है, बल्कि उनको मूल स्थानों पर पहुंचाना है. 

कोर्ट ने कहा कि यह भी सुनिश्चित करें कि किसी भी प्रवासी को वापस जाने के लिए कुछ भी भुगतान न करना पड़े. सुप्रीम कोर्ट ने एसजी तुषार मेहता को सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के साथ बात करने के लिए कहा.  अदालत ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि हमारे आदेशों का प्रचार भी किया जाए. सुप्रीम कोर्ट 6 जुलाई को मामले की सुनवाई करेगा.

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने आदेश दिया था कि राज्य 15 दिन में बचे हुए श्रमिकों को अपने-अपने गांवों तक भेजें. श्रमिक ट्रेनें ज्यादा चलाई जाएं ताकि उनको यात्रा के लिए एप्लाई करने के 24 घंटों में ही ट्रेन मिल जाए. पलायन करने का मन बना चुके प्रवासी श्रमिकों को 15 दिनों के अंदर अपने गांव या जहां वो जाना चाहें भेजने का समुचित इंतज़ाम सुनिश्चित किया जाए.

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कोर्ट ने कहा था कि राज्य श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर रोज़गार देने की स्कीम तैयार करें. इसके लिए पलायन कर गए सभी श्रमिकों की पहचान कर पूरी विस्तृत जानकारी वाला डाटा तैयार किया जाए. फिर उनको समुचित रोजगार देने की स्कीम बनाई जाए. सभी श्रमिकों की स्किल मैपिंग का इन्तज़ाम हो. डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के मुताबिक इंतज़ाम हो. श्रमिकों के खिलाफ लॉकडाउन के नियम तोड़ने के आरोप में  दर्ज सारी शिकायतें और मुकदमे वापस/रद्द करने पर विचार किया जाए.