सीबीआई की एक चूक से कैसे लंदन भागने में सफल रहा विजय माल्या

सीबीआई से हुई एक चूक ने क्या लोन घोटाले के आरोपी विजय माल्या की फरारी का रास्ता साफ कर दिया.

सीबीआई की एक चूक से कैसे लंदन भागने में सफल रहा  विजय माल्या

विजय माल्या की फाइल फोटो.

खास बातें

  • विजय माल्या के भागने में सीबीआई से हुई चूक
  • लुकआउट नोटिस में अगर बदलाव नहीं होता तो नहीं भाग पाता माल्या
  • सीबीआई ने कहा-फैसला लेने में हुई गलती
नई दिल्ली:

सीबीआई से हुई एक चूक ने लोन घोटाले के आरोपी विजय माल्या की फरारी का रास्ता साफ कर दिया. अगर सीबीआई अपने लुकआउट सर्कुलर में तब्दीली नहीं करती तो शायद विजय माल्या देश छोड़कर फरार नहीं हो पाता. खुद अब जाकर देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी ने अपनी चूक स्वीकार की है. सीबीआई ने माना है कि उससे इस मामले में एक फैसले लेने में गलती हुई. सीबीआई ने इसे निर्णय की त्रुटि करार दिया है. जांच एजेंसी ने कहा कि शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ 2015 के लुकआउट सर्कुलर में तब्दीली करके ‘‘हिरासत’’ से बदलकर उसके आवागमन के बारे में केवल सूचना देने की बात निर्णय की ‘‘त्रुटि’’ थी. इसके पीछे की वजह बताते हुए सीबीआई ने कहा कि चूंकि उस वक्त माल्या जांच में सहयोग कर रहा था और उसके खिलाफ कोई वारंट नहीं था. इसलिए नोटिस में यह बदलाव किया गया. 

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भागने से पहले वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की बात कहने के बाद फिर से माल्या का मामला देश की सुर्खियों में हैं. ऐसे में सीबीआई की संबंधित नोटिस में ढिलाई का जिक्र छिड़ने पर  सीबीआई सूत्रों ने कहा कि पहला लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) 12 अक्तूबर 2015 को जारी किया गया था. माल्या तब विदेश में था. सूत्रों ने कहा कि उसके लौटने पर ब्यूरो आफ इमीग्रेशन (बीओआई) ने एजेंसी से पूछा कि क्या माल्या को हिरासत में लिया जाना चाहिए जैसा कि एलओसी में कहा गया है, इस पर सीबीआई ने कहा कि उसे गिरफ्तार करने या हिरासत में लेने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि वह वर्तमान में एक सांसद है और उसके खिलाफ कोई वारंट भी नहीं है.उन्होंने कहा कि एजेंसी केवल उसके आवागमन के बारे में सूचना चाहती है.सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा जांच एक प्रारंभिक चरण में थी और सीबीआई 900 करोड़ रूपये के लोन चूक मामले में आईडीबीआई से दस्तावेज एकत्रित कर रही थी.

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सूत्रों ने कहा कि सीबीआई ने नवम्बर 2015 के आखिरी सप्ताह में माल्या के खिलाफ एक ताजा एलओसी जारी किया जिसमें देशभर के हवाई अड्डा प्राधिकारियों से कहा गया कि वे उसे माल्या के आवागमन के बारे में सूचना दें. इससे इस सर्कुलर ने उस पूर्ववर्ती सर्कुलर का स्थान ले लिया जिसमें कहा गया था कि यदि उद्योगपति देश से जाने का प्रयास करे तो उसे हिरासत में ले लिया जाए.एलओसी इसे जारी करने वाले प्राधिकारी पर निर्भर करता है और जब तक इसमें बीओआई से किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने या किसी विमान में सवार होने से रोकने के लिए नहीं कहा जाता, कोई कदम नहीं उठाया जाता.

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सूत्रों ने कहा कि माल्या ने अक्तूबर में विदेश की यात्रा की और नवम्बर में लौट आया, उसने उसके बाद दिसम्बर के पहले और आखिर सप्ताह में दो यात्राएं की और उसके बाद जनवरी 2016 में भी एक यात्रा की.इस बीच वह तीन बार पूछताछ के लिए पेश हुआ क्योंकि लुकआउट सर्कुलर जारी किये गए थे. वह एक बार नई दिल्ली में और दो बार मुम्बई में पेश हुआ. उन्होंने कहा कि नोटिस में बदलाव निर्णय में त्रुटि थी क्योंकि वह सहयोग कर रहा था , इसलिए उसे विदेश जाने से रोकने का कोई कारण नहीं था. दो मार्च 2016 को माल्या देश छोड़कर चला गया और ब्रिटेन में रह रहा है जहां वह प्रत्यर्पण मुकदमा लड़ रहा है. 
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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