पायलट खेमे के विधायक ने बेंगलुरु जाने की खबरों पर कहा, "कोई सवाल ही नहीं उठता"

ये बागी विधायक शुक्रवार शाम से लापता हैं, जब राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की एक टीम बीजेपी शासित हरियाणा के मानेसर में इस रिसॉर्ट में गई थी, जहां ये विधायक रह रहे थे.

पायलट खेमे के विधायक ने बेंगलुरु जाने की खबरों पर कहा,

सचिन पायलट वीकेंड के बाद से इन विधायकों के साथ दिल्ली के आसपास हैं.

नई दिल्ली:

राजस्थान में राज्य की गहलोत सरकार खिलाफ बगावती रुख अख्तियार करने वाले सचिन पायलट खेमे के 18 विधायकों के ठिकाने का रहस्य लगातार गहराता जा रहा है. एक बागी विधायक न एनडीटीवी के बताया कि वह बीजेपी शासित कर्नाटक की तरफ नहीं जा रहे हैं, जैसा कि शनिवार शाम को अनुमान लगाया गया था. एनडीटीवी द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की तरह ही इस बार भी बागी विधायक कर्नाटक का रुख करेंगे? पायलट खेमे के वरिष्ठ विधायक ने स्पष्ट कहा, "कोई सवाल ही पैदा नहीं होता" हालांकि वह विधायकों के वर्तमान ठिकाने के बारे में भी कुछ भी बताने को तैयार नहीं थे.  

ये बागी विधायक शुक्रवार शाम से लापता हैं, जब राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की एक टीम बीजेपी शासित हरियाणा के मानेसर में इस रिसॉर्ट में गई थी, जहां ये विधायक रह रहे थे.

राजस्थान पुलिस भंवर लाल शर्मा की आवाज का नमूना रिकॉर्ड करने गई थी, जिसे कांग्रेस के अनुसार अशोक गहलोत सरकार को गिराने की साजिश के तहत भाजपा से रिश्वत की चर्चा करते टेप पर सुना गया था. NDTV इन टेपों की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है. हरियाणा पुलिस ने अंदर जाने से पहले राजस्थान पुलिस टीम को कुछ समय के लिए रोक दिया था. घंटों के इंतजार के बाद जब एसओजी की टीम अंदर गई तो वे खाली हाथ लौटे, क्योंकि 18 विधायक कहीं नहीं थे.

राजस्थान पुलिस एसओजी के सूत्रों के मुताबिक बागी विधायक दिल्ली में कहीं हैं. 

राजस्थान में अब जो रिसॉर्ट पॉलिटिक्स चल रही है, वह इस साल की शुरुआत में कांग्रेस के एक अन्य युवा नेता के बाहर निकलने के जैसी ही है. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 22 समर्थक विधायकों के साथ मार्च में पाला बदल लिया था. जिसके कारण मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिर गई थी. उस समय विधायकों को चार्टर्ड विमान से बेंगलुरु के एक रिसॉर्ट में भेजा गया था.

सचिन पायलट वीकेंड के बाद से इन विधायकों के साथ दिल्ली के आसपास हैं. अशोक गहलोत के साथ उनका चल रहा झगड़ा तब बढ़ा जब उन्हें सरकार उसी सरकार को गिराने की कथित साजिश पर सवालों के जवाब देने के लिए कहा गया जिसमें वह दूसरा सबसे बड़ा पद ग्रहण किए हुए थे. जैसा कि पायलट ने जयपुर लौटने से इनकार कर दिया और मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठकों को छोड़ दिया, उन्हें उप-मुख्यमंत्री और राजस्थान कांग्रेस प्रमुख के पद से हटा दिया गया. लेकिन दिल्ली में, कांग्रेस नेतृत्व ने उसे अपने साथ लाने की कोशिश जारी रखी.

पायलट राजस्थान में उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष के रूप में बर्खास्त होने के बाद, राजस्थान विधानसभा से उन्हें और 18 अन्य को अयोग्य घोषित करने के कदम को चुनौती देने के लिए अदालत गए हैं. कांग्रेस का कहना है कि उन्होंने इन हफ्ते दो बैठकों में पेश होने के निर्देश को धता बताकर पार्टी के खिलाफ काम किया, जिसकी अध्यक्षता गहलोत ने की थी.

रिजॉर्ट में नहीं मिले सचिन पायलट कैंप के विधायक
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