किसानों को सशक्त बनाने के लिए मोदी कैबिनेट ने तीन अध्यादेशों को मंजूरी दी

नए कानून के जरिए "वन नेशन, वन मार्केट" की तर्ज़ पर देश के किसी भी हिस्से में किसानों को अपनी उपज बेचने की सुविधा मिलेगी

किसानों को सशक्त बनाने के लिए मोदी कैबिनेट ने तीन अध्यादेशों को मंजूरी दी

पीएम नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल ने कृषि से जुड़े तीन अध्यादेशों को मंजूरी दे दी है.

नई दिल्ली:

देश में किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिले, वे देश में कहीं भी जाकर अपनी उपज बेच सकें इसके लिए मोदी कैबिनेट ने दो अहम अध्यादेशों को मंज़ूरी दे दी है. सरकार अब एक नए कानून के जरिए "वन नेशन, वन मार्केट" की तर्ज़ पर देश के किसी भी हिस्से में किसानों को उनकी उपज बेचने की सुविधा मुहैया कराएगी.  

कृषि क्षेत्र में सुधार और किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिले, उनकी कमाई बढ़े, इसके लिए  मोदी कैबिनेट ने बुधवार को 'एक देश, एक कृषि बाजार' के लिए कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020 को मंज़ूरी दे दी. इसके जरिए किसानों को अपना उपज किसी भी राज्य में ले जाकर बेचने की आज़ादी होगी. इससे कृषि उपज का बाधा मुक्‍त अंतर-राज्‍य व्‍यापार संभव हो सकेगा. किसानों को अपना उत्पाद मंडी ले जाने की बाध्यता नहीं होगी. एक देश एक मार्केट भावना को बढ़ावा मिलेगा.

दूसरे अहम फैसले में मोदी कैबिनेट ने आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम में संशोधन के जरिए अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्‍याज और आलू जैसी वस्‍तुओं को आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से हटाने का फैसला किया है. सरकार का दावा है कि इस फैसले से उत्‍पादन, भंडारण, ढुलाई, वितरण और आपूर्ति करने की आजादी से व्‍यापक स्‍तर पर उत्‍पादन करना संभव होगा. सिर्फ अकाल, युद्ध, कीमतों में अभूतपूर्व वृद्धि और प्राकृतिक आपदा जैसी परिस्थितियों में ही इन कृषि उपजों की कीमतों को नियंत्रित किया जा सकेगा.

साथ ही, कैबिनेट ने ‘मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश- 2020' को भी स्वीकृति दे दी है. कृषि मंत्रालय के मुताबिक अध्यादेश किसानों को शोषण के भय के बिना समानता के आधार पर प्रसंस्करणकर्ताओं (प्रोसेसर्स), एग्रीगेटर्स, थोक विक्रेताओं, बड़े खुदरा कारोबारियों, निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने में सक्षम बनाएगा.

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

अब अगली चुनौती संसद के मानसून सत्र के दौरान इस अध्यादेशों पर राजनीतिक सहमति बनाकर इन्हें संसद में पारित कराने की होगी.