महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने खादी ग्रामोद्योग के कैलेंडर को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया है.
मुंबई: खादी ग्रामोद्योग आयोग के डायरी-कैलेंडर पर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर को लेकर लगातार प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने ट्वीट करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है.
तुषार गांधी ने ट्वीट किया है- "प्रधानमंत्री पॉलीवस्त्रों के प्रतीक हैं जबकि बापू ने अपने बकिंघम पैलेस के दौरे के दौरान खादी पहनी थी न कि 10 लाख रुपये का सूट."
तुषार ने खादी ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) को बंद करने की मांग करते हुए कहा, "हाथ में चरखा, दिल में नाथूराम. टीवी पर ईंट का जवाब पत्थर से देने में कोई बुराई नहीं है."
तुषार गांधी ने ट्वीट में बापू की 1931 की ब्रिटेन की यात्रा का हवाला दिया है. उन्होंने कहा है कि जब उन्होंने ब्रिटेन के सम्राट जॉर्ज पंचम और महारानी मैरी से मुलाकात की थी उन्होंने खादी की धोती और शॉल पहन रखा था. नरेंद्र मोदी ने भारत में राष्ट्रपति बराक ओबामा की यात्रा के दौरान विवादास्पद 10 लाख रुपये का सूट पहना था.
तुषार गांधी ने पहले ट्वीट कर कहा था, "तेरा चरखा ले गया चोर, सुन ले ये पैगाम, मेरी चिट्ठी तेरे नाम. पहले, 200 रुपये के नोट पर बापू की तस्वीर गायब हो गई, अब वह केवीआईसी की डायरी और कैलेंडर से नदारद हैं. उनकी वजह 10 लाख रुपये का सूट पहनने वाले प्यारे प्रधानमंत्री की तस्वीर लगी है."
उधर मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरूपम ने भी केवीआईसी के कैलेंडर का विरोध करते हुए कहा है कि यह राष्ट्रपिता का अपमान है. निरूपम ने एक बयान में कहा, "हम इसकी कड़े शब्दों में निंदा करते हैं और मांग करते हैं कि इन कैलेंडरों को तुरंत वापस लिया जाए."
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने इसे स्वयं की पीठ थपथपाने वाला बताया और केवीआईसी के 2017 के कैलेंडर और डायरी से गांधी की जगह मोदी की तस्वीर लगाने के लिए माफी की मांग की. चव्हाण ने कहा, "महात्मा गांधी ने देश को स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का संदेश दिया था जिसे लेकर 1956 में केवीआईसी का गठन किया गया. हालांकि, इस सरकार ने आत्म प्रशंसा के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जबकि यह एक गलत कदम है." चव्हाण ने कहा, "आप महात्मा गांधी को देश के लोगों के दिल से नहीं निकाल सकते."
गौरतलब है कि केवीआईसी के 2017 के डायरी और कैलेंडर पर गांधी की जगह मोदी की तस्वीर छापे जाने पर सरकार और केवीआईसी को तमाम राजनीतिक दलों के रोष का सामना करना पड़ रहा है.
(इनपुट एजेंसी से)