लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार का किसानों को तोहफा, खरीफ़, धान और कपास की फसल पर MSP बढ़ाया

केन्‍द्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले देशभर के किसानों को बड़ी सौगात दी है. सूत्रों से पता चला है कि केन्द्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य डेढ़ गुना बढ़ा दिया है.

लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार का किसानों को तोहफा, खरीफ़, धान और कपास की फसल पर MSP बढ़ाया

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

केन्‍द्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले देशभर के किसानों को बड़ी सौगात दी है. खरीफ़ की फसल पर केन्द्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य डेढ़ गुना बढ़ा दिया है. कैबिनेट के इस फैसले से किसानों को उनकी लागत का 50% ज़्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलेगा. वहीं धान की एक क्विंटल फसल पर 200 और कपास की फसल पर 1100 रुपये बढ़ी हुई एमएसपी मिलेगी. राजनाथ सिंह ने कहा, आजादी के बाद किसी भी सरकार ने MSP में इतना ज्‍यादा इजाफा नहीं दिया है. 

केन्‍द्र सरकार के एमएसपी बढ़ाने से सरकार पर 15000 करोड़ का बोझ आएगा. अब किसी फ़सल की पैदावार लागत में सभी खर्चे शामिल होंगे- जैसे बीज, खाद, कीटनाशक, मजदूरी, मशीन आदि. उसके आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाएगा. हालांकि किसान की लागत में ज़मीन की क़ीमत शामिल नहीं होगी, जिसकी सिफ़ारिश स्वामीनाथन आयोग ने की थी.

फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए नया फार्मूला बनेगा

विशेषज्ञों की मानें, तो ऐसा होने से घर के बजट में इजाफा हो सकता है, यानी महंगाई बढ़ सकती है, जबकि फसलों का मूल्य 20 फीसदी तक गिरने पर सरकार को एमएसपी मुहैया कराने के लिए सवा लाख करोड़ रुपये खर्च करना पड़ सकता है.  देश के किसानों को बड़ी राहत देने के सरकार के निर्णय की सराहना करते हुए आर्थिक विशेषज्ञ अतुल सिंह ने कहा कि जाहिर है कि अनाज और दालों के दाम जब डेढ़ गुना होंगे, तो महंगाई में इजाफा होगा ही. इसका असर होटल, रेस्तरां और ढाबों की थाली पर भी पड़ेगा. हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह जरूरी है, क्योंकि मौजूदा मुद्रास्फीति की तुलना में कृषि उत्पादन की वृद्धि काफी कम है.  ऐसे में एमएसपी डेढ़ गुना किए जाने पर देश के अन्नदाता को वाकई में राहत मिलेगी.

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वहीं, नीति आयोग के सदस्य और कृषि मामलों के विशेषज्ञ रमेश चंद ने कहा कि डेढ़ गुना एमएसपी किए जाने से महंगाई पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. इसका कारण अन्य क्षेत्रों की तुलना में कृषि उत्पादन दरें बहुत ही कम हैं. वैश्विक स्तर पर तुलना करें, तो हमारे देश का किसान वाकई में कीमत के मामले में हाशिए पर है और इसमें सुधार बहुत जरूरी है. 

मिलेगी उपज की उचित कीमत 
कृषि मामलों के विशेषज्ञ डॉ. देवेंद्र शर्मा ने कहा कि यह स्वाभाविक है कि जब थोक कीमतों में बढ़ोतरी होगी, तो उसका असर खुदरा बाजार में ज्यादा होगा. ऐसे में आम आदमी के लिए रसोई का खर्च जरूर बढ़ जाएगा, लेकिन दूसरी तरफ अन्नदाता को इससे राहत मिलेगी. अगर बाजार मूल्य एमएसपी से कम रहता है, तो सरकार उन्हें शेष राशि मुहैया कराएगी. ऐसे में हर सूरत में उन्हें उपज का उचित दाम मिल पाएगा.

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जानकारों की मानें तो सरकार के इस फ़ैसले से घर के बजट में इज़ाफ़ा हो सकता है, यानी महंगाई बढ़ सकती है. इसका असर होटल, रेस्तरां और ढाबों की थाली पर पड़ सकता है. जबकि सरकार पर सवा लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ सकता है.

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