मोगा में बस से फेंकी गई नाबालिग लड़की बनना चाहती थी पुलिस अधिकारी

कांग्रेस नेता प्रताप बाजवा अस्पताल में पीड़ित लड़की की मां का जायजा लेते हुए

मोगा:

मोगा में छेड़खानी के बाद चलती बस से फेंके जाने से हाल ही में जिस लड़की की मौत हुई, उसके दोस्तों एवं परिजनों का कहना है कि वह पुलिस अधिकारी बनना चाहती थी और कमजोर एवं पीड़ितों के अधिकारों के लिए संघर्ष करना चाहती थी।

बस से फेंकी गई उस 13 साल की लड़की के चचेरे भाई संदीप सिंह और उसकी बचपन की दोस्त सोमा रानी ने संवाददाताओं को बताया कि वह एक प्रतिभाशाली छात्रा थी और पुलिसबल में शामिल होना चाहती थी।

सोमा रानी ने कहा, 'वह कमजोर एवं जरूरतमंदों के लिए कुछ करना चाहती थी और वह अक्सर हमसे कहती थी कि एक दिन वह पुलिस अधिकारी बनेगी। वह हमेशा कमजोरों और पीड़ितों के दुखदर्द से दुखी हो जाती थी और वह उनके अधिकारों के लिए संघर्ष करना चाहती थी एवं उन्हें इंसाफ दिलाने में मदद करना चाहती थी।'

सोमा ने कहा, 'हमारे अभिभावक जो चीजें हमें खरीद कर देते थे, हम अक्सर उन्हें आपस में बदल लेते थे। उसे कपड़े पहनकर सुव्यवस्थित रहना बड़ा पसंद था। साफ-सफाई उसके दिल के करीब थी।'

लड़की के गांव के निवासी दर्शन सिंह ने कहा, 'वह एक मेधावी लड़की थी। वह पुलिस बल में शामिल होने की अपनी इच्छा के बारे में मुझे बताती थी। देखिए, लेकिन क्या हुआ। उसने कभी नहीं सोचा होगा कि उसके साथ ऐसा होगा।'

उल्लेखनीय है कि लड़की और उसकी मां को बुधवार को पंजाब में सत्तारूढ़ बादल परिवार के स्वामित्व वाली एक चलती बस से फेंक दिया गया था। हादसे में लड़की की मौत हो गई थी जबकि उसकी मां गंभीर रूप से घायल हो गई थी। वहीं दूसरी ओर इस घटना को लेकर राज्य में राजनीतिक बवाल पैदा हो गया है।

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गंभीर रूप से घायल और हादसे की शिकार उस लड़की की मां का अस्पताल में इलाज चल रहा है, जहां वह जिंदगी और मौत से जूझ रही है।