केरल में 4 जून को दस्तक दे सकता है मॉनसून, सामान्य से कम बारिश होने की आशंका

स्काईमेट के सीईओ जतिन सिंह ने कहा कि इस मौसम में सभी चार क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश होने जा रही है. पूर्व और पूर्वोत्तर भारत तथा मध्य हिस्से बारिश के मामले में उत्तर पश्चिम भारत और दक्षिणी प्रायद्वीप से खराब स्थिति में रहेंगे.

केरल में 4 जून को दस्तक दे सकता है मॉनसून, सामान्य से कम बारिश होने की आशंका

प्रतीकात्मक चित्र

नई दिल्ली:

मौसम की भविष्यवाणी करने वाली निजी कंपनी स्काईमेट ने मंगलवार को कहा कि केरल में चार जून को मानसून दस्तक दे सकता है, जो देश में बारिश के मौसम की आधिकारिक शुरुआत होगी. बता दें कि केरल में सामान्यत: मानसून के आगमन की तारीख एक जून है.स्काईमेट के सीईओ जतिन सिंह ने कहा कि इस मौसम में सभी चार क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश होने जा रही है. पूर्व और पूर्वोत्तर भारत तथा मध्य हिस्से बारिश के मामले में उत्तर पश्चिम भारत और दक्षिणी प्रायद्वीप से खराब स्थिति में रहेंगे. मानसून की शुरुआत चार जून के आसपास होगी.

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ऐसा लगता है कि भारतीय प्रायद्वीप में मानसून का शुरुआती चरण धीमा होने जा रहा है. मानसून के 22 मई को अंडमान और निकोबार द्वीप पर पहुंचने की संभावना है. गत महीने स्काईमेट ने मौसम के लिए सामान्य से कम मानसून रहने का अनुमान जताया था. गौरतलब है कि मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली एक निजी एजेंसी स्काईमेट ने कहा कि इस साल मानसून में सामान्य से कम बारिश हो सकती है. एजेंसी ने संभावित सामान्य से कम बारिश के पीछे की वजह अलनीनो को बताया है. एजेंसी ने बताया कि मॉनसून के दीर्घकालिक औसत (एलपीए) का 93 फीसदी रहने की संभावना है. दरअसल एलपीए की 90-95 फीसदी बारिश सामान्य से कम वाली श्रेणी में आती है. 1951 से 2000 के बीच हुई कुल बारिश के औसत को एलपीए कहा जाता है और यह 89 सेमी है. यदि यह पूर्वानुमान सही साबित होता है तो यह लगातार दूसरा वर्ष होगा जब सामान्य से कम बारिश होगी. 

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पूर्वी भारत में बारिश कम होने का सबसे ज्यादा खतरा हो सकता है. पूर्वानुमान में कहा गया है कि ओडिशा, छत्तीसगढ़ और तटीय आंध्र प्रदेश में पूरे मौसम में सामान्य बारिश होने की संभावना है. स्काईमेट के सीईओ जतिन सिंह ने बताया कि जून में एलपीए की 77 प्रतिशत बारिश देखने को मिल सकती है जबकि जुलाई में एलपीए की 91 प्रतिशत बारिश हो सकती है. सिंह ने बताया कि पूर्वानुमान के अनुसार जून और जुलाई में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है. अगस्त और सितम्बर में एलपीए के 102 प्रतिशत और 99 प्रतिशत बारिश हो सकती है. स्काईमेट ने संभावित सामान्य से कम बारिश के पीछे अल-नीनो को जिम्मेदार ठहराया है. स्काईमेट के अध्यक्ष (मौसम विज्ञान और जलवायु परिवर्तन) एयर वाइस मार्शल (सेवानिवृत्त) जी पी शर्मा ने बताया कि अल-नीनो का मानसून पर प्रभाव पड़ता है. उन्होंने कहा, ‘‘प्रशांत महासागर औसत से अधिक गर्म हो गया है. मार्च-मई के दौरान अनुमानों में अल नीनो की 80 प्रतिशत संभावना है, जो जून से अगस्त तक 60 प्रतिशत तक कम होती है.'' (इनपुट भाषा से)