संसद की कैंटीन में सब्सिडी छोड़ने को राजी हुए सांसद

संसद में एक कैंटीन मीडिया के लिए तो एक सिर्फ सांसदों के लिए आरक्षित है. संसद के भीतर कैटरिंग का ज़िम्मा रेलवे संभालती है.

संसद की कैंटीन में सब्सिडी छोड़ने को राजी हुए सांसद

संसद के भीतर कैटरिंग का ज़िम्मा रेलवे संभालती है. (प्रतीकात्मक फोटो)

खास बातें

  • पिछली लोकसभा में कम किया गया था सब्सिडी बिल
  • सत्रह करोड़ है संसद भवन के खाने का सालाना बिल
  • अब खाने के दाम लागत के हिसाब से होंगे तय
नई दिल्ली:

संसद की कैंटीन में सांसदों को मिलने सस्ते खाने का मसला अक्सर खबरों में बना रहता है. कई बार लोग सवाल उठाते रहे हैं कि सांसदों को खाने पर इतनी सब्सिडी क्यों दी जा रही है.  लेकिन अब इस मामले में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है. सभी सांसदों ने संसद की कैंटीन में खाद्य वस्तुओं पर मिलने वाली सब्सिडी को छोड़ने का सर्वानुमति से निर्णय किया है. सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी है. सूत्रों के अनुसार यह निर्णय लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के सुझाव के बाद किया गया है. 

संसद भवन में खाने का बिल सालाना 17 करोड़ रुपये आता है. अब सब्सिडी हटाए जाने के बाद कैंटीन में खाने के दाम लागत के हिसाब से तय होंगे. पिछली लोकसभा में कैंटीन के खाने के दाम बढ़ा कर सब्सिडी का बिल कम किया गया था. 

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बता दें संसद में एक कैंटीन मीडिया के लिए तो एक सिर्फ सांसदों के लिए आरक्षित है. एक आंकड़े के मुताबिक़ जब संसद चल रही होती है तो यहां खाने वालों में 9 फ़ीसदी तादाद सांसदों की होती है और तीन फ़ीसदी पत्रकारों की. संसद के भीतर कैटरिंग का ज़िम्मा रेलवे संभालती है.