कोरोना से 10,000 मौतों वाला पहला शहर बना मुंबई, जान गंवाने वाले 85% मरीजों की उम्र 50 से ज्यादा

मुंबई में कोरोना की वजह से 10,000 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें 85% की उम्र 50 से ज़्यादा थी. यह एक डरावना आंकड़ा है. मुंबई में कोविड से अभी तक कुल 10,062 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें से 8,580- यानी 85 फ़ीसदी लोग 50 से ज़्यादा उम्र के थे और 50% से अधिक लोग ऐसे थे जिन्हें डायबिटीज़, किडनी रोग, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, फेफडों की बीमारी जैसी समस्याएं भी थीं.

कोरोना से 10,000 मौतों वाला पहला शहर बना मुंबई, जान गंवाने वाले 85% मरीजों की उम्र 50 से ज्यादा

मुंबई में कोविड-19 से अबतक 10,062 लोगों की मौत हो चुकी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

मुंबई:

Maharashtra Coronavirus Updates: मुंबई शहर में कोरोनावायरस के मामले अब पहले से घटे हैं, लेकिन मुंबई के नाम एक अजब सा रिकॉर्ड जुड़ गया है. ये देश का पहला ऐसा शहर है, जहां कोरोना की वजह से 10,000 लोगों की मौत (Covid-19 deaths) हो चुकी है. इनमें 85% की उम्र 50 से ज़्यादा थी. यह एक डरावना आंकड़ा है. मुंबई में कोविड से अभी तक कुल 10,062 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें से 8,580- यानी 85 फ़ीसदी लोग 50 से ज़्यादा उम्र के थे और 50% से अधिक लोग ऐसे थे जिन्हें डायबिटीज़, किडनी रोग, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, फेफडों की बीमारी जैसी समस्याएं भी थीं.

ग्लोबल हॉस्पिटल की इंटर्नल मेडिसिन एक्सपर्ट डॉक्टर मंजूषा अग्रवाल ने कहा, 'ज़्यादातर बुजुर्ग लोगों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दिखती हैं, जिसको हम कोमॉर्बिडिटी बोलते हैं, मेरा सुझाव यह रहेगा कि बुजुर्गों में थोड़े लक्षण भी दिखते ही डॉक्टर के पास जाना जरूरी है, जिन बुजुर्गों में डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर या दिल से जुड़ी समस्याएं हैं, इनको होम क्वॉरंटीन नहीं करना चाहिए, प्राइवेट या सरकारी कोविड सेंटर में तुरंत इलाज शुरू कर देना चाहिए.'

हमने 55 साल की कोविड मरीज़ से बात की, जो अपने टेस्ट रिपोर्ट का इंतज़ार करती रहीं थीं और हालत बिगड़ने पर पड़ोसियों की मदद से पति सहित मुंबई के जंबो कोविड सेंटर में भर्ती हुई थीं. उन्हें समय पर अस्पताल लाया गया, इसलिए अब उनकी हालत बेहतर है. उन्होंने बताया, 'पहले दो दिन बुख़ार आया, उसके बाद टेस्ट करवाया, उसके बाद सीटी स्कैन करवाया, सीटी स्कैन की रिपोर्ट आने से पहले ही सांस फूलने लग गई. सांस फूली तो बिल्डिंग वालों ने फोन करके मेरे पति और मुझे दोनों को यहां पहुंचा दिया.'

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बीकेसी जंबो कोविड सेंटर की डायबिटोलोजिस्ट डॉ फ़िरदौस शेख़ ने बताया कि 'यह मरीज जब हमारे पास आईं तो इनकी हालत सही नहीं थी. पॉज़िटिव थीं, फीवर था, सांस लेने में दिक़्क़त थी, शुगर लेवल नियंत्रण में नहीं था, हम यहां शुगर पांच टाइम टेस्ट करते हैं. डायटीशियन डायबिटिक मरीज के डायट पर ध्यान देते हैं, शुगर कंट्रोल होने पर संक्रमण भी जल्दी ठीक होता है.'

हॉस्पिटल रिकॉर्ड्स में यह भी पाया गया है कि मरीज अभी भी बहुत देरी से अस्पताल आ रहे हैं. हालत बिगड़ती है तो सीधे ICU में भर्ती होते हैं. फिर उन्हें बचाना मुश्किल होता है. लेकिन मौतों की इतनी बड़ी संख्या के बाद पहले से सावधान रहने की जरूरत तो है ही, सरकारी स्तर पर कुछ और पुख्ता तैयारियों की भी जरूरत है.
 

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