यह ख़बर 16 जुलाई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

मोदी की उड़िया लोगों को लुभाने की कोशिश, भगवान जगन्नाथ के दर्शन किए

खास बातें

  • मोदी ने आज कांग्रेस समेत किसी राजनीतिक दल का नाम नहीं लिया और कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि भगवान जगन्नाथ का दर्शन करने आए हैं।
पुरी:

ओडिशा के लोगों को लुभाने के लिए भाजपा की राष्ट्रीय चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष नरेंद्र मोदी आज यहां भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए पहुंचे और उन्होंने गुजरात के आर्थिक विकास में उड़िया लोगों के योगदान की प्रशंसा की।

मोदी ने यहां गुंडिचा मंदिर और श्री मंदिर में पूजा करने के बाद उड़िया भाषा में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा, मैं उड़िया लोगों के योगदान की प्रशंसा करता हूं, जिन्होंने गुजरात के लिए अपना पसीना बहाया। ‘जय जगन्नाथ’ का मंत्रोच्चार करते हुए सफेद कुर्ता पजामा और कंधे पर लाल ओढ़ना डाले गुजरात के मुख्यमंत्री ने कहा कि वह सोमनाथ की धरती से भगवान जगन्नाथ की धरती पर पूरे देश के विकास के लिए उनका आशीर्वाद लेने आए हैं।

हालांकि आज उन्होंने कांग्रेस समेत किसी राजनीतिक दल का नाम नहीं लिया और कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि भगवान जगन्नाथ का दर्शन करने आए हैं।

उन्होंने गुजरात और ओडिशा में अनेक समानताएं गिनाते हुए कहा, आप समुद्र तट के किनारे बसे हैं और गुजरात भी तटीय राज्य है। आपके यहां कोणार्क में सूर्य मंदिर है, जहां भारत में सूर्य की पहली किरण पहुंचती है, वहीं गुजरात में सूर्यास्त के दौरान सूर्य की अंतिम किरण पहुंचती है।
 
मोदी के उड़िया भाषण से प्रभावित होकर पार्टी कार्यकर्ताओं ने भी उनके बोले शब्दों को दोहराया। मोदी की पुरी यात्रा के दौरान हवा में ‘जय जगन्नाथ’ और ‘बंदे उत्कल जननी’ के मंत्र गुंजायमान हो रहे थे।

गुंडिचा मंदिर में और श्री मंदिर में मां बिमला तथा महालक्ष्मी के दर्शन के बाद मोदी पुरी के नरेश दिव्यसिंह देव के महल पहुंचे जहां दोनों ने करीब 10 मिनट तक बातचीत की। इस बारे में हालांकि मोदी और नरेश ने कोई बयान नहीं दिया। बाद में मोदी ने पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती से मुलाकात की और करीब 30 मिनट तक बातचीत की।

मोदी के मुताबिक, शंकराचार्य ने मोदी को सलाह दी कि देश के समग्र विकास के लिए गंभीरता से काम करें, क्योंकि देश के विकास के लिए कोई राजनीतिक दल गंभीरता से काम नहीं कर रहा है।

कड़ी सुरक्षा के बीच पुरी पहुंचे मोदी सबसे पहले गुंडिचा मंदिर गए जहां रथयात्रा महोत्सव के दौरान भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की पूजा की जा रही है। उन्होंने करीब 20 मिनट का समय मंदिर में बिताया और पूजा की। गुजरात के मुख्यमंत्री के साथ उनके पारिवारिक पुजारी रघुनाथ गोच्चिकर और अन्य पुजारी थे।
 
मोदी की यात्रा से प्रदेश में भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं में पार्टी के मजबूत होने की उम्मीद का संचार हुआ है। उनका मानना है कि गुजरात के मुख्यमंत्री का दौरा ओडिशा में संगठन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएगा। अगर पुरी, भुवनेश्वर हवाईअड्डे और राज्य के अन्य हिस्सों में मोदी के भव्य स्वागत से किसी भी तरह के संकेत खोजे जाएं तो यहां मोदी का करिश्मा काम करता हुआ दिखाई देता है। भुवनेश्वर से पुरी तक 60 किलोमीटर के रास्ते में सड़कों के दोनों ओर खड़े लोगों ने उनका अभिनंदन किया।

पुरी के रास्ते में मोदी पांच मिनट के लिए सखीगोपाल में ठहरे और ‘पंच सखा’ की प्रतिमाओं पर श्रद्धांजलि अर्पित की जहां ओडिशा के पांच महान लोगों की मूर्तियां हैं।

भाजपा नेताओं ने मोदी की यात्रा को पूरी तरह अराजनीतिक बताया, लेकिन गजपति नरेश और शंकराचार्य, दोनों ही शख्सियतों से उनकी मुलाकात के बाद अटकलें शुरू हो गई हैं कि यह अगले चुनाव से पहले हिन्दू शक्तियों को एक करने और जनता की धार्मिक भावनाओं को प्रभावित करने की ही एक कवायद है।

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भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जगन्नाथ मंदिर के बाहर मीडिया को धाराप्रवाह उड़िया में मोदी के संबोधन से ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को स्पष्ट संदेश जाएगा।