यह ख़बर 12 जुलाई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

मोदी की ‘पिल्ले’ वाली टिप्पणी पर बवाल, पार्टियों ने की आलोचना

खास बातें

  • साल 2002 के गुजरात दंगों के मुद्दे पर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई कुछ टिप्पणियों पर राजनीतिक हंगामा खड़ा हो गया।
नई दिल्ली:

साल 2002 के गुजरात दंगों के मुद्दे पर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से की गई कुछ टिप्पणियों पर राजनीतिक हंगामा खड़ा हो गया।

समाजवादी पार्टी, माकपा, जद(यू) ने कहा कि मोदी ने मुसलमानों की तुलना ‘पिल्ले’ से की और उन्हें इस ‘अपमानजनक’ टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए।

इस टिप्पणी से बैकफुट पर आई भाजपा ने कहा कि ‘एक खास समुदाय का तुष्टिकरण करने के लिए मोदी की टिप्पणी का गलत मतलब निकाला जा रहा है।'

मोदी ने टिप्पणी की थी, ‘यदि कोई पिल्ला भी कार के पहिये के नीचे आ जाए तो उन्हें दुख होगा'।

इसपर, सपा के प्रवक्ता कमाल फारुकी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘यह काफी दुखद, अत्यंत अपमानजनक और काफी परेशान करने वाला बयान है। मोदी क्या सोचते हैं कि मुसलमान पिल्लों से भी गए-गुजरे हैं? उनके पास मुसलमानों के लिए कोई भावना नहीं है। उन्हें दुखी होना चाहिए...उन्हें माफी मांगनी चाहिए।’

सपा नेता ने कहा, ‘मोदी को ऐसी भाषा के इस्तेमाल के लिए शर्म आनी चाहिए। वह जितनी जल्दी माफी मांगें, उतना बेहतर होगा। वरना इसके गंभीर परिणाम होंगे।’

मोदी पर हमला बोलते हुए माकपा नेता वृंदा करात ने कहा, ‘मोदी को अफसोस जताना नहीं आता... वह जो कह रहे हैं उसमें बुनियादी तौर पर ही कुछ गड़बड़ है।’

वृंदा ने कहा, ‘मोदी अलग-अलग तरीके से जनसंहार को सही ठहराते रहे हैं। चाहे जनसंहार हो, चाहे सोच-समझकर की गई निर्मम हत्या हो, चाहे यह मुठभेड़ के नाम पर हुई हो, चाहे यह उन मामलों को दबाने के लिए हो और चाहे यह इसमें शामिल लोगों को तरक्की देने का मामला हो... यह एक ऐसा प्रशासन है जो कुछ मामलों में भारत के संविधान और बुनियादी मानवीय सिद्धांतों के खिलाफ है।’

भाकपा नेता डी राजा ने मोदी की टिप्पणी को ‘लोगों को ठगने और भारतीय जनता को छलने की हताश कोशिश’ करार दिया।

जद(यू) नेता शिवानंद तिवारी ने मोदी को आड़े हाथ लेते हुए कहा, ‘उनका मनोवैज्ञानिक विश्लेषण कराया जाना चाहिए।’ तिवारी ने कहा कि यह ‘काफी खतरनाक होगा कि ऐसा व्यक्ति देश का प्रधानमंत्री बन जाए।’ जद(यू) नेता ने मोदी द्वारा यह कहे जाने पर भी हमला बोला कि वह ‘हिन्दू राष्ट्रवादी’ हैं और उन्हें हिंदू होने पर ‘गर्व’ है। तिवारी ने कहा, ‘इस बयान का मतलब है कि मोदी दूसरों को साथ लेकर नहीं चलना चाहते।’

भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमण ने यह कहते हुए मोदी का बचाव किया कि उनकी टिप्पणी का ‘गलत मतलब निकाला गया’ और विवाद पैदा हो गया। इस विवाद को ‘निश्चित तौर पर निंदनीय’ करार देते हुए सीतारमण ने कहा, ‘मैं सभी से अपील करती हूं कि वे पूरा इंटरव्यू पढ़ें और बिना संदर्भ के बात न करें। इसमें जोखिम है।’ ‘पिल्ले’ वाली टिप्पणी पर सीतारमण ने कहा कि मोदी का मतलब था कि यदि कोई इंसान भी कार के नीचे आ जाए तो उन्हें दुख होगा।

सीतारमण ने आगे कहा, ‘जाहिर तौर पर यह एक खास तबके को तुष्ट करने की मंशा से किया गया है। यह कांग्रेस की वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा है। यह चुनावों से पहले कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा है।’

भाकपा के वरिष्ठ नेता एबी वर्धन ने कहा कि मोदी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते क्योंकि जब गुजरात दंगे हुए उस वक्त वह मुख्यमंत्री थे। वर्धन ने कहा, ‘जब दंगे हुए उस वक्त मोदी मुख्यमंत्री थे। यदि मुख्यमंत्री जिम्मेदारियों की बात इसी तरह करते हैं तो वे लोगों से मजाक कर रहे हैं। जब कानून-व्यवस्था बिगड़ती है तो वह जिम्मेदारी नहीं लेते। ऐसा कर वह जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते।’

मोदी की ‘पिल्ले’ वाली टिप्पणी का हवाला देते हुए वर्धन ने हैरत जताई कि क्या गुजरात के मुख्यमंत्री कार में बैठे मासूम मुसाफिर थे और क्या वह यह नहीं जानते थे कि इसे ड्राइव कौन कर रहा था।

भाकपा नेता ने कहा, ‘क्या वह कार में बैठे मासूम मुसाफिर थे? कार कौन ड्राइव कर रहा था। मुख्यमंत्री कार में बैठते हैं और उन्हें यह नहीं पता कि ड्राइवर कौन है।’ वर्धन ने कहा कि मोदी अब तक गुजरात दंगों के असल दोषियों को पकड़ पाने में नाकाम क्यों रहे हैं।

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सपा नेता नरेश अग्रवाल ने कहा, ‘दोषी कौन है यह बहुत स्पष्ट है। जो भी दोषी हो, चाहे वह किसी भी पद पर क्यों न हो, उसे सजा दी जानी चाहिए।’