जानबूझ कर देश में एक भय का माहौल बनाया गया है : सोनिया गांधी

जानबूझ कर देश में एक भय का माहौल बनाया गया है : सोनिया गांधी

नई दिल्‍ली:

कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों की बैठक में सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और एनडीए सरकार पर जमकर हमला बोला। सोनिया ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों में राज्यों की उपेक्षा हो रही है और जन कल्याण की तमाम योजनाओं में बड़े पैमाने पर कटौती की जा रही है।

सोनिया ने कहा, 'महत्वपूर्ण सामाजिक क्षेत्रों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल और दलितों और आदिवासियों के कल्याण की योजनाओं के बजट में कटौती की गयी है।' सोनिया गांधी ने दावा किया कि नरेन्द्र मोदी सरकार खाद्य सुरक्षा बिल के तहत आने वाले लाभार्थियों की संख्या 67 फीसदी से घटाकर 40 फीसदी करने की तैयारी कर रही है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने ये आरोप भी लगाया कि प्रधानमंत्री ख़ुद को गुड गवर्नेंस का चैंपियन बता रहे हैं जबकि उन्होंने अपने सहयोगियों को सांप्रदायिक बयानबाज़ी की छूट दे रखी है। सोनिया ने कहा, 'इस तरह की बयानबाज़ी ने हमारे सांप्रदायिक ताने-बाने को काफी नुकसान पहुंचाया है। जानबूझ कर देश में एक भय का माहौल बनाया गया है।'

सोनिया ने माना कि पिछले लोकसभा चुनावों के नतीजों से ये बात सामने आयी है कि पार्टी को प्रचार-प्रसार और मार्केटिंग के तौर-तरीकों में बड़े सुधार लाने होंगे। फिलहाल कांग्रेस की नौ राज्यों में सरकारें हैं। सोनिया ने ध्यान खींचा कि इन सरकारों को अपनी अपनी उपलब्धियों के प्रचार पर भी ध्यान देना होगा।

बैठक में राहुल गांधी ने भी मुख्यमंत्रियों के साथ किसानों की बदहाली और बेरोज़गारी पर विस्तार से चर्चा की। बैठक के बाद राहुल ने कहा, 'हमारे सभी मुख्यमंत्रियों ने कहा कि मोदी सरकार एक हाथ से पैसे देती है और दूसरे हाथ से वापस खींच लेती है, मोदी सरकार किसानों को भूल गयी है।'

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बैठक मे मोदी सरकार के विकास के दावों पर सवाल उठाया। मनमोहन ने कहा, '2014-15 में जीडीपी विकास दर में बढ़ोत्तरी का दावा किया जा रहा है। जबकि सच्चाई ये है कि सरकार के अंदर और बाहर से नए जीडीपी आंकड़ों पर सवाल उठ रहे हैं।'

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मंगलवार की बैठक में कांग्रेस को दोबारा पटरी पर लाने की जद्दोजहद में जुटे सोनिया और राहुल गांधी ने इस बैठक के ज़रिये पार्टी संगठन को ये साफ दिशा-निर्देश दिया कि मोदी सरकार की खामियों को उजागर करना आने वाले महीनों में उनकी प्राथमिकता होनी चाहिये और यूपीए की नीतियों को कमज़ोर करने की कोशिशों का पार्टी संगठन को जमकर विरोध करना होगा।