हरियाणा आएगी NASA और ISRO की टीम, जानें क्या तलाशेगी?

सरस्वती नदी के पुनरुद्धार के लिए किए जा रहे उत्खन्न कार्य के दौरान हरियाणा के फतेहाबाद जिले में हड़प्पा काल से पहले की सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जो 6000 साल से अधिक पुराने माने जा रहे हैं.

हरियाणा आएगी NASA और ISRO की टीम, जानें क्या तलाशेगी?

नासा और इसरो की टीम के अक्टूबर 2017 तक आने के संभावना है. तस्वीर: प्रतीकात्मक

चंडीगढ़:

अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान एजेंसी नासा और भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो हरियाणा के फतेहाबाद में चल रहे पुरातात्विक खुदाई कार्य की मिलकर जांच करेंगे और पता लगाएंगे कि क्या वहां दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता का अस्तित्व था. फतेहाबाद के कुणाल गांव में चल रही खुदाई के दौरान पुरातत्ववेत्ताओं को हड़प्पा सभ्यता से प्राचीन शिल्प मिले हैं.

हरियाणा के पुरातत्व एवं संग्रहालय मंत्री राम बिलास शर्मा ने सोमवार को कहा कि नासा और इसरो संभवत अक्टूबर, 2017 में अपनी जांच करेंगे.

मंत्री ने कहा, "खुदाई स्थल से मिले शिल्प 6,000 साल पुराने होने का अनुमान है. इससे साफ संकेत मिलता है कि कुणाल में पनपी यह सभ्यता दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता थी. अब तक हड़प्पा सभ्यता को सबसे प्राचीन सभ्यता माना जाता रहा है, जिसका अस्तित्व 3,500 साल पुराना माना जाता है."

खुदाई स्थल से मिले शिल्पों में गहने और बर्तनों के अलावा वलयाकार शिल्प शामिल हैं.

हरियाणा सरकार कुणाल और राखीगढ़ी में विश्व स्तरीय संग्रहालय बनाने पर विचार कर रही है.

मालूम हो कि सरस्वती नदी के पुनरुद्धार के लिए किए जा रहे उत्खन्न कार्य के दौरान हरियाणा के फतेहाबाद जिले में हड़प्पा काल से पहले की सभ्यता के अवशेष मिले हैं, जो 6000 साल से अधिक पुराने माने जा रहे हैं. फतेहाबाद के उपायुक्त एनके सोलंकी ने शनिवार को कहा, नदी के आसपास उत्खन्न कार्य के दौरान मिले अवशेष सर्वाधिक पुराने हो सकते हैं, क्योंकि हड़प्पा सभ्यता करीब 3500 साल पुरानी है और हड़प्पा पूर्व की सभ्यता करीब 5000 से 6000 साल पुरानी है.

सोलंकी ने बताया कि जिले के कुणाल गांव में खुदाई के दौरान जेवर, मनके और हड्डियां मिले हैं. पुरातत्व और संग्रहालय विभाग इन्हें एक संग्रहालय में रखेगा.

उपायुक्त ने कहा कि कुणाल गांव की मैपिंग के बाद खुदाई का काम शुरू किया गया और मिट्टी की जो चीजें मिली हैं, वो इस संभावना की ओर इशारा करती हैं कि सरस्वती नदी वहां से होकर गुजरती थी. उन्होंने कहा कि हालांकि यह अभी साबित नहीं हुआ है लेकिन सैटेलाइट तस्वीरें नदी के इस क्षेत्र में बहने की ओर संकेत देती हैं.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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