वीरता पुरस्कार : झोपड़ी जल रही थी और अंदर था बेट्श्वाजॉन का तीन साल का भाई

मेघालय के 12 साल के साहसी बच्चे बेट्श्वाजॉन पेनलांग ने स्वयं आहत होते हुए जलती हुई झोपड़ी से छोटे भाई को निकाला

वीरता पुरस्कार : झोपड़ी जल रही थी और अंदर था बेट्श्वाजॉन का तीन साल का भाई

नई दिल्ली:

सिर्फ 12 वर्ष की उम्र में अपनी जान पर खेलकर मासूम भाई को बचाने वाले मेघालय के बेट्श्वाजॉन पेनलांग को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार दिया जाएगा. बेट्श्वाजॉन ने जिस कठिन स्थिति में जान जोखिम में डालकर अदम्य साहस का परिचय दिया वह प्रेरणा देने वाला है.  

बेट्श्वाजॉन ने जिस तरह की समझ और निडरता से हालात का मुकाबला किया वह इस उम्र के बच्चों में होना दुर्लभ है. यह 23 अक्टूबर 2016 की घटना है. बेट्श्वाजॉन और उसका तीन साल का भाई आरबियस घर पर अकेले थे. आरबियस घर के अंदर था और इसी दौरान उनकी झोपड़ी में आग लग गई. बेट्श्वाजॉन घर के बाहर अकेला था. वह घर को आग की लपटों से घिरा देखकर सन्न रह गया. उसका छोटा भाई जलती हुई झोपड़ी के अंदर था और आसपास कोई नहीं था.  

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बेट्श्वाजॉन अपनी जान को खतरे में डालकर जलती हुई झोपड़ी के अंदर गया. उसने दर्द सहते हुए साहसपूर्वक छोटे भाई को झोपड़ी से सुरक्षित बाहर निकाल लिया. इस घटना में  बेट्श्वाजॉन का दाहिना हाथ और चेहरा बुरी तरह जल गया और हाथ की उंगलियां विकृत हो गईं.  बेट्श्वाजॉन ने साहस के साथ अपने भाई का जीवन बचाया. उसे 24 जनवरी को राष्‍ट्रीय वीरता पुरस्‍कार से नवाजा जाएगा.


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