पति हुए शहीद तो परिवार को संभाला, फिर उन्हीं के रास्ते पर चल कर बन गई सेना में लेफ्टिनेंट

किसी महिला का भरी जवानी में विधवा हो जाने का दर्द क्या होता है, यह उससे बेहतर भला कौन जान सकता है.

पति हुए शहीद तो परिवार को संभाला, फिर उन्हीं के रास्ते पर चल कर बन गई सेना में लेफ्टिनेंट

सेना में लेफ्टिनेंट नीरू संब्याल

नई दिल्ली:

किसी महिला का भरी जवानी में विधवा हो जाने का दर्द क्या होता है, यह उससे बेहतर भला कौन जान सकता है. दरअसल, एक महिला के पति सेना में थे, 2015 में शहीद हो जाते हैं. ऐसा लगता है कि उस महिला के ऊपर पहाड़ टूट जाता है. मगर वह महिला अपने पति की मौत के बाद भी हिम्मत नहीं हारती है, लड़ती है अपने लिए, परिवार के लिए, अपनी बेटी के लिए और आज वह खुद एक सेना में लेफ्टिनेंट बन गई है. दरअसल, यह कहानी है जम्मू-कश्मीर के सांबा की रहने वाली नीरू संब्याल की. नीरू सांब्याल सेना के शहीद रवींद्र संब्याल की पत्नी हैं.  रवींद्र संब्याल (रवींदर संब्याल) की मौत 2015 में हो गई थी. 

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नीरू संब्याल अब आर्मी में हैं. नीरू का कहना है कि 'मैं अपने पति के मौत के बाद काफी दुखी हो गई थी. मगर मेरी बेटी मेरी प्रेरणा थी. इसलिए मैंने आर्मी में शामिल होने का फैसला किया और आज मैं एक लेफ्टिनेंट हूं.' नीरू कहती हैं कि सेना में रहने के लिए आपको मानसिक रूप से मजबूत होना होगा. बता दें कि नीरू के पति रवींद्र 2015 में एक इंजूरी की वजह से अपनी जान गंवा बैठे थे. 


समाचार एजेंसी एएनआई ने जो फोटो जारी किये हैं, उसमें नीरू अपने परिवार के संग दिख रही हैं. नीरू की एक बेटी है, जो जिसकी उम्र करीब 3-4 साल है. इस फोटो में नीरू अपनी बेटी को गोद में लिय दिख रही हैं. बताया जा रहा है कि रवींद्र सिंह संब्याल  2 JAK Rif में थे. 

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