उपराष्ट्रपति नहीं बनना चाहते थे वेकैंया नायडू, जानिये क्या थी उनकी ख्वाहिश...

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu) कभी उपराष्ट्रपति नहीं बनना चाहते थे. वेंकैया नायडू की ख्वाहिश भारतीय जनसंघ के नेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता दिवंगत नानाजी देशमुख के पदचिह्नों पर चलते हुए रचनात्मक कार्य करने की थी.

उपराष्ट्रपति नहीं बनना चाहते थे वेकैंया नायडू, जानिये क्या थी उनकी ख्वाहिश...

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू. (Venkaiah Naidu)

खास बातें

  • उपराष्ट्रपति नहीं बनना चाहते थे वेंकैया नायडू
  • अपनी पुस्तक विमोचन के मौके पर कही यह बात
  • नानाजी देशमुख के पदचिह्नों पर चलने की थी चाहत
चेन्नई:

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu) कभी उपराष्ट्रपति नहीं बनना चाहते थे. वेंकैया नायडू की ख्वाहिश भारतीय जनसंघ के नेता एवं सामाजिक कार्यकर्ता दिवंगत नानाजी देशमुख के पदचिह्नों पर चलते हुए रचनात्मक कार्य करने की थी. उपराष्ट्रपति के रूप में अपने दो साल के कार्यकाल पर आधारित अपनी पुस्तक 'लिस्निंग, लर्निंग एंड लीडिंग' के विमोचन के मौके पर कहा, 'मेरे प्रिय मित्रों, मैं आपसे सच कहूं तो मैं कभी उपराष्ट्रपति नहीं बनना चाहता था.'

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उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के सामने अपनी इच्छा प्रकट की थी कि उनके दूसरे कार्यकाल में वह सरकार से हटना चाहते हैं, नानाजी देशमुख के पदचिह्नों पर चलना चाहते हैं और रचनात्मक कार्य करना चाहते हैं. वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu) ने कहा, 'मैं उसके लिए योजना बना रहा था. मुझे खुशी थी कि मैं वह करूंगा, लेकिन वह नहीं हो पाया. उन्होंने बताया कि मैंने उपराष्ट्रपति पद के लिए कुछ नाम भी सुझाए थे.'

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वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu) ने कहा, 'पार्टी की संसदीय दल की बैठक के बाद अमित भाई (भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह) ने कहा कि पार्टी में सभी का मानना है कि मैं सबसे उपयुक्त व्यक्ति रहूंगा. मैंने कभी उसकी उम्मीद नहीं की थी. मेरी आंखों में आंसू थे, इसलिए नहीं कि मेरा मंत्री पद जा रहा था, जिसे तो मैं कहीं न कहीं छोड़ने ही जा रहा था.' उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने सिर्फ इस वजह से अपनी संवेदना पर काबू पाया कि अगले दिन से वह भाजपा कार्यालय नहीं जा पाएंगे या पार्टी कार्यकर्ताओं से नहीं मिल पाएंगे.

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उन्होंने कहा कि वह आंदोलन (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के भविष्य को लेकर चिंतित थे, जिससे उनकी आंखों में आंसू आ गये थे. उन्होंने कहा, 'मैं बहुत कम उम्र में इस आंदोलन से जुड़ा और पार्टी ने प्रधानमंत्री के पद को छोड़कर सब कुछ दिया, वैसे भी मैं इस पद के लिए उपयुक्त नहीं था. मैं अपनी क्षमताओं और काबलियत को जानता हूं.'

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