एक्सक्लूसिव : नए बिल्डिंग कोड में सुपर हाईराइज़, ग्लास की इमारतों के लिए विशेष प्रावधान

नई दिल्‍ली:

नेपाल में मची भयानक तबाही भारत के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं। भूकंप के खतरे और बड़े पैमाने पर मची तबाही को देखते हुए देश में इस साल के आखिर तक नेशनल बिल्डिंग कोड 2015 तैयार कर लिया जाएगा।

इसके तहत सेफ्टी सर्टिफिकेट की प्रक्रिया मजबूत बनाई जाएगी। सुपर हाइराइज बिल्डिंग की सुरक्षा के मानक तय होंगे। साथ ही, शीशेवाली इमारतों को भूकंपरोधी बनाने के लिए डिजायन के मापदंड भी बदले जाएंगे।

भारतीय मानक ब्यूरो के निदेशक (सिविल इंजीनियरिंग) ने एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा कि निर्माण से जुड़े इंजीनियर, आर्किटेक्ट और बिल्डर की जवाबदेही तय करने के लिए नए बिल्डिंग कोड में विशेष तौर पर शामिल किया जाएगा।

अभी तक देश के कई शहर ठीक फॉल्टलाइन पर बसे हैं, लेकिन भूकंपरोधी मानकों की अनदेखी की गई है। जानकारों के मुताबिक बहुमंजिली इमारतों के लिए भूकंपसुरक्षा से जुड़ा कोई खास कोड नहीं है।

नेशनल डिज़ास्टर मैनेजमेन्ट ऑथॉरिटी के मुताबिक इमारतों की श्रेणी में सबसे ऊपर फुली ऑपरेशनल हैं जिन्हें कोई खतरा नहीं है। दूसरा इमिडिएट अक्‍यूपेंसी है, इन इमारतों में मामूली दरार आ सकती है, तीसरा स्तर लाइफ सेफ्टी का है, ऐसी इमारतों में नुकसान हो सकता है और चौथा स्तर कोलैप्स प्रिवेंशन का है, इन्हें सबसे ज्यादा ख़तरा होता है।

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उधर सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश दिया है कि सारे रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में भूकंपरोधी स्तर की जानकारी दी जाए। साथ ही एनडीएमए लोगों को इन चार स्तरों की जानकारी देने के लिए मुहिम चलाए। पिछले एक दशक में जहां एक तरफ रियल इस्टेट कारोबार कई गुना बढ़ा है वहीं दूसरी तरफ इन नई इमारतों में सुरक्षा मानकों का कितना ध्यान रखा गया है उसपर सवाल उठते रहे हैं। पिछले दो दिनों में आए भूकंप के झटकों से ये सवाल फिर महत्वपूर्ण हो गया है।