दिल्‍ली : NGT ने तय की डीजल गाड़ि‍यों की उम्र, बढ़ी मुसीबत लाखों की

नई दिल्‍ली:

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश का असर सीधे तौर पर राजधानी की करीब उन डेढ़ लाख गाड़ियों पर होगा जो डीजल से चलती हैं। एक आंकड़े के मुताबिक दिल्ली में 10 साल से पुरानी प्राइवेट गाड़ियों की तादाद करीब 1 लाख 19 हजार है। वहीं कमर्शियल गाड़ियां करीब 34 हजार। अब मुश्किल में हर कोई है जिसकी गाड़ी 10 साल का पड़ाव पार कर चुकी है।

गीता कॉलोनी के नीरज शर्मा के पास डीजल से चलने वाली 8 गाड़ियां हैं, जिनसे उनका कारोबार चलता है, लेकिन अब एक झटके में ही 3 गाड़ियां बेकार हो गईं। कायदे के मुताबिक इनकी फिटनेस तो ओके हैं लेकिन नए कानून के मुताबिक ये कबाड़ से कम नहीं। नीरज बताते हैं कि हमारी गाड़ि‍यों की फिटनेस सर्टिफिकेट भी हैं। कुछ ना सही तो मोहलत तो जरूर मिलनी चाहिए थी।

ऐसे ही दिल्ली की सड़कों पर 3 गाड़ियां दौड़ाने वाले परमजीत सिंह को अब 2 से ही काम चलाना होगा जिसकी उम्र दस साल से ज्यादा थी वो अचानक रिटायर हो गई और जो 2 बची हैं अगले साल उनका भी नंबर आ जाएगा। परमजीत सिंह कहते हैं कि हम तो रोड पर आ जाएंगे। क्या करें समझ नहीं आ रहा।

मुश्किल में मजदूर भी हैं जिनकी दिहाड़ी दस साल से पुरानी गाड़ियों के भरोसे थी। गाड़ियां बंद हुई तो हाथ थम गए, बात पेट पर आ गई। रामकिशन बताते हैं कि रोजगार की तलाश में रोजाना हम इस मिनी ट्रक के भरोसे ही रहते थे, लेकिन आज तो हाथ खाली है। बिना कमाई के ही घर जाना होगा।

उधर, सेकेंड हैंड कार मार्केट का भी मूड ऑफ है, कारोबारी इस उलझन में हैं कि दो दिन पहले खरीदी इनोवा की उम्र अब चंद महीनों की मेहमान है। इतना ही नहीं ऐसे कई करोबारी हैं जिनकी सांसें एनजीटी के फरमान के बाद से अटकी पड़ी है। पिंटू का रोना है कि हमारा तो धंधा ही उजड़ गया। 21 गाड़ियों में 5 ऐसी गाड़ियां हैं जिनकी उम्र 3 से 9 महीनों के बीच 10 साल को पार कर जाएगी।

इतनी ही हताशा और निराशा मोटर पार्ट्स के कारोबारियों में भी हैं। रमेश भाई कहतें हैं कि पुरानी गाड़ियों के पाटर्स का उनके पास पूरा भंडार है। कैसे खपाएंगे?

सवाल स्वच्छ दिल्ली और दिल्लीवालों की सेहत का है लिहाजा समझौता नहीं।


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