'ट्रेनों में गरीब मजदूरों के मानवाधिकारों का बुरी तरह उल्लंघन हुआ', NHRC ने इन लोगों को थमाया नोटिस

NHRC ने एक बयान में कहा कि ‘‘राज्य ट्रेनों में सवार गरीब मजदूरों के जीवन की रक्षा करने में विफल रहा है.’’

'ट्रेनों में गरीब मजदूरों के मानवाधिकारों का बुरी तरह उल्लंघन हुआ', NHRC ने इन लोगों को थमाया नोटिस

ट्रेन से यात्रा के दौरान कई प्रवासी मजदूरों ने अपनी जान गंवा दीं

नई दिल्ली:

ट्रेन सेवाओं में देरी और खाने तथा पानी की कमी के कारण उनमें में सवार प्रवासी मजदूरों को होने वाली परेशानियों को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने केंद्रीय गृह सचिव, रेलवे और गुजरात और बिहार की सरकारों को नोटिस भेजा है. इन परेशानियों की वजह से कुछ यात्रियों के कथित तौर पर बीमार पड़ने और उनमें से कुछ लोगों की मृत्यु होने की भी खबरें हैं. NHRC ने एक बयान में कहा कि ‘‘राज्य ट्रेनों में सवार गरीब मजदूरों के जीवन की रक्षा करने में विफल रहा है.'' बयान के मुताबि, NHRC ने मीडिया रिपोर्टों के आधार पर यह संज्ञान लिया है कि जो रेलगाड़ियां प्रवासी मजदूरों को ले जा रही हैं, वे न केवल देरी से शुरू हो रही हैं, बल्कि गंतव्य तक पहुंचने के लिए कई अतिरिक्त दिन ले रही हैं. बयान में कहा गया है, ‘‘एक रिपोर्ट में, यह आरोप लगाया गया है कि कई प्रवासी मजदूरों ने ट्रेन से यात्रा के दौरान अपनी जान गंवा दी. पीने के पानी और भोजन आदि की कोई व्यवस्था नहीं है.''

गौरतलब है कि रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार के मुजफ्फरपुर में दो और दानापुर, सासाराम, गया, बेगूसराय और जहानाबाद में एक-एक व्यक्ति की कथित तौर पर मौत हो गई, जिसमें एक 4 साल का बच्चा भी शामिल है. सभी की कथित तौर पर भूख के कारण मौत हुई है. आयोग ने कहा, ‘‘एक अन्य घटना में, एक ट्रेन कथित तौर पर गुजरात के सूरत जिले से 16 मई को बिहार के सिवान के लिए रवाना हुई और नौ दिनों के बाद 25 मई को बिहार पहुंची.'' आयोग ने कहा है कि मीडिया की खबरें अगर सही है, तो यह मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है. इससे पीड़ित परिवारों को अपूरणीय क्षति हुई है. 

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आयोग ने गुजरात और बिहार के मुख्य सचिवों, रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और केंद्रीय गृह सचिव को नोटिस जारी कर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. बयान में कहा गया है कि गुजरात और बिहार सरकार के मुख्य सचिवों से अपेक्षा की जाती है कि वे विशेष रूप से सूचित करें कि ट्रेनों में सवार होने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए चिकित्सा सहायता सहित बुनियादी सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए थे. उसमें कहा गया है कि सभी प्रशासनों से चार सप्ताह के भीतर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद है.