राइट टु प्राइवेसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संवैधानिक पीठ में सुनवाई शुरू

प्राइवेसी संपूर्ण राइट नहीं है ना ही हो सकती है, लेकिन कोर्ट को इसमें संतुलन बनाना है और मैं समझता हूं ये एक खतरनाक क्षेत्र है.

राइट टु प्राइवेसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की संवैधानिक पीठ में सुनवाई शुरू

सुप्रीम कोर्ट आधार पर सुनवाई.

खास बातें

  • 9 जजों की संवैधानिक पीठ में राइट टु प्राइवेसी' को लेकर सुनवाई
  • पांच जजों की बेंच ने मामले को 9 जजों की बेंच को रेफर कर दिया था
  • केंद्र सरकार की ओर से दलील दी गई थी कि राइट टु प्राइवेसी, मूल अधिकार नहीं
नई दिल्ली:

राइट टू प्राइवेसी पर 9 जजों की सविधान पीठ में सुनवाई शुरु हो गई है.  चार राज्यों पंजाब, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और पुदुचेरी की ओर से संविधान पीठ में पेश हुए कपिल सिब्बल सिब्बल ने कहा - 1954 और 1962 के सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट में उस तरह कभी विचार नहीं किया जा सकता था जैसी तकनीक आज 21 वीं सदी में मौजूद है. प्राइवेसी संपूर्ण राइट नहीं है ना ही हो सकती है, लेकिन कोर्ट को इसमें संतुलन बनाना है और मैं समझता हूं ये एक खतरनाक क्षेत्र है.  प्राइवेसी का मुद्दा सिर्फ राज्य और नागरिक के बीच नहीं है बल्कि गैर सरकार और नागरिक के बीच भी है. प्राइवेसी के मुद्दे पर दोनों पुराने जजमेंट मौजूदा दौर में कोई प्रासंगिकता नहीं रखते.

इस पर जस्टिस चंद्रचूड ने कहा, सरकार द्वारा गोपनीयता भंग करने एक बात है लेकिन उदाहरण के तौर पर टैक्सी एग्रीगेटर द्वारा आपका दिया डाटा आपके खिलाफ ही इस्तेमाल कर ले, प्राइसिंग आदि में वो उतना ही खतरनाक है. जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा, अगर राइट टू प्राइवेसी संविधान के प्रावधान में है तो इसे कहाँ ढूढें ? हमारे साथ दिक्कत ये है कि क्या इसे एक से ज्यादा संविधान के प्रावधानों में तलाशा जाए. संविधान की अनुछेद 21 में इसे तलाशना कम कष्टकारी होगा लेकिन अगर ये आर्टिकल 19 आदि में है तो हमें ये ढूढ़ना होगा कि किस केस के हिसाब ये कहाँ सही ठहरता है.
 
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संवैधानिक पीठ ये तय करेगी कि क्या 'राइट टु प्राइवेसी' यानी 'निजता का अधिकार' संविधान के तहत मूल अधिकार है या नहीं. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने मामले को 9 जजों की बेंच को रेफर कर दिया था. चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अगुवाई वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने कहा कि इस मामले को अब 9 जजों की संवैधानिक बेंच सुनेगी और वह इस मामले में पहले से दिए गए दो जजमेंट को एग्जामिन करेगी.

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि खड़ग सिंह और एमपी शर्मा से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट की दो अलग-अलग बेंच ने कहा है कि राइट टु प्राइवेसी मौलिक अधिकार नहीं है. 1950 में 8 जजों की संवैधानिक बेंच ने एमपी शर्मा से संबंधित वाद में कहा था कि राइट टु प्राइवेसी मौलिक अधिकार नहीं है. वहीं 1961 में खड़ग सिंह से संबंधित वाद में सुप्रीम कोर्ट की 6 जजों की बेंच ने भी राइट टु प्राइवेसी को मौलिक अधिकार के दायरे में नहीं माना था.

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आधार के लिए लिए जाने वाला डेटा राइट टु प्राइवेसी का उल्लंघन करता है या नहीं इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक बेंच के सामने ये सवाल आया कि क्या राइट टु प्राइवेसी मूल अधिकार है या नहीं. कोर्ट ने कहा कि पहले अब ये तय किया जाएगा कि राइट टु प्राइवेसी संविधान के तहत मूल अधिकार है या नहीं. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बेंच सुनवाई करेगी और पहले के दिए जजमेंट को देखेगी. इसके बाद आधार मामले में प्राइवेसी को देखेगी.

चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा कि पहले हम ये दखेंगे कि राइट टु प्राइवेसी संविधान के तहत मूल अधिकार है या नहीं. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट के पहले के जजमेंट का हवाला दिया. अदालत में सुनवाई के दौरान जस्टिस जे चेलामेश्वर ने टिप्पणी की कि ये तर्क सही नहीं है कि संविधान में राइट टु प्राइवेसी का जिक्र नहीं है लेकिन कॉमन लॉ में है. ये सही है कि ये लिखित में नहीं है लेकिन फ्रीडम ऑफ प्रेस भी लिखा नहीं हुआ है लेकिन उसकी व्याख्या की गई है. ऐसे में पहले का जजमेंट देखना जरूरी है.

VIDEO : निजता के अधिकार पर प्राइम टाइम में चर्चा


 
गौरतलब है कि 23 जुलाई 2015 को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राइट टु प्राइवेसी संविधान के तहत मूल अधिकार नहीं है. केंद्र सरकार की ओर से पेश तत्कालीन अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने दलील दी थी कि संविधान में देश के नागरिकों के लिए राइट टु प्राइवेसी का प्रावधान नहीं है. उन्होंने 1950 के 8 जजों के सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का हवाला देकर कहा था कि जजमेंट में कहा गया था कि राइट टु प्राइवेसी मूल अधिकार नहीं है.

अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि राइट टु प्राइवेसी से संबंधित कानून अस्पष्ट है. आधार कार्ड के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से दलील दी गई थी कि राइट टु प्रिवेसी, मूल अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा था कि इस सवाल को अभी तय किया जाना है और ऐसे में मामले को लार्जर बेंच को रेफर कर देना चाहिए.

VIDEO : निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पर खास रिपोर्ट


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