निर्भया गैंगरेप केस में आया फैसला
खास बातें
- वारदात को क्रूर और राक्षसी तरीके से अंजाम दिया गया : कोर्ट
- अपराध अलग दुनिया की कहानी जैसा : कोर्ट
- सेक्स और हिंसा की भूख के चलते बड़ी वारदात को अंजाम दिया : कोर्ट
नई दिल्ली: निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट द्वारा दी गई फांसी की सजा को बरकरार रखा है. उस समय कोर्ट में निर्भया के माता-पिता भी मौजूद थे. फैसला सुनकर निर्भया की मां भावुक हो गईं और उनकी आंखों में आंसू आ गए. सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में अहम टिप्पणियां भी कीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा-सेक्स और हिंसा की भूख के चलते बड़ी वारदात को अंजाम दिया. दोषी अपराध के प्रति आसक्त थे. जैसे अपराध हुआ, ऐसा लगता है अलग दुनिया की कहानी है. घटना की रात नाबालिग समेत सभी दोषी बस में मौजूद थे. पुलिस की जांच और डीएनए से गुनाह साबित हुआ. जजों के फैसला सुनाने के बाद कोर्ट में तालियां बजीं.
गैंगरेप के चार दोषियों मुकेश, अक्षय, पवन और विनय को साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर 14 मार्च 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने भी मुहर लगा दी थी. दोषियों की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा पर रोक लगा दी थी. इसके बाद तीन जजों की बेंच को मामले को भेजा गया और कोर्ट ने केस में मदद के लिए दो एमिक्स क्यूरी नियुक्त किए गए थे.
कोर्ट की 7 सख्त टिप्पणियां
- पीड़िता के बयानों पर संदेह नहीं किया जा सकता.
- ऐसी घटना को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता
- वारदात को क्रूर और राक्षसी तरीके से अंजाम दिया गया
- अपराध अलग दुनिया की कहानी जैसा
- सेक्स और हिंसा की भूख के चलते बड़ी वारदात को अंजाम दिया
- सबूत मिटाने के लिए पीड़ित और दोस्त को बाहर फेंका
- वारदात ने समाज की सामूहिक चेतना को हिला दिया
निर्भया केस का सफ़र- 16 दिसंबर 2012: चलती बस में सामूहिक बलात्कार और क्रूरता
- 17 दिसंबर 2012: चार आरोपियों, राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा, पवन गुप्ता की शिनाख़्त
- 18 दिसंबर 2012: चारों आरोपी गिरफ़्तार
- 21 दिसंबर 2012: पांचवां नाबालिग आरोपी आनंद विहार बस अड्डे से पकड़ा गया
- 22 दिसंबर 2012: छठा आरोपी अक्षय ठाकुर औरंगाबाद से गिरफ़्तार
- 26 दिसंबर 2012: निर्भया को इलाज के लिए सिंगापुर भेजा गया
- 29 दिसंबर 2012: निर्भया की सिंगापुर में मौत
- 3 जनवरी 2013: फास्ट ट्रैक कोर्ट में पांच आरोपियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट
- 28 फरवरी 2013: जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में नाबालिग पर आरोप तय
- 11 मार्च 2013: मुख्य आरोपी राम सिंह ने ख़ुदकुशी की
- 31 अगस्त 2013: नाबालिग़ आरोपी दोषी क़रार दिया गया
- 10 सितंबर 2013: चारों आरोपी दोषी क़रार दिए गए
- 13 सितंबर 2013: चारों आरोपियों को फांसी की सज़ा
- 7 अक्टूबर 2013: चारों आरोपियों ने दिल्ली हाइकोर्ट में की अपील
- 13 मार्च 2014: हाइकोर्ट ने मौत की सज़ा बरक़रार रखी
- 15 मार्च 2014: चारों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की...
- 20 दिसंबर 2015: नाबालिग तीन साल बाद बाहर
- 27 मार्च 2017: सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित रखा