आरजेडी के साथ गठबंधन को लेकर नीतीश ने मांगे पार्टी विधायकों और सांसदों से सुझाव

नीतीश कुमार की फाइल फोटो

पटना:

साल के अंत में संभावित बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आरजेडी के साथ गठबंधन को लेकर गतिरोध और दोनों दलों में जारी जुबानी जंग के कारण बढ़ते तनाव के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जमीनी हकीकत जानने के लिए जेडीयू विधायकों और सांसदों से सुझाव लेने शुरू कर दिए हैं।

पटना के 7 सकुर्लर रोड स्थित अपने सरकारी आवास पर नीतीश ने बिहार के तीन जिलों पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण और बगहा के जेडीयू विधायकों और सांसदों सहित पार्टी के अन्य नेताओं से जमीनी हकीकत जानने के लिए भेंट की।

जेडीयू के प्रदेश प्रवक्ता नीरज कुमार ने बताया कि नीतीश ऐसी दूसरी मुलाकात बुधवार शाम मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी और शिवहर के विधायकों और सांसदों से करेंगे। उन्होंने बताया कि बाकी विधानसभा क्षेत्रों के विधायकों और संसदीय क्षेत्रों के सांसदों से नीतीश जी की इस मुलाकात का सिलसिला 17 जून तक जारी रहेगा।

सत्ता के गलियारे में कयास लगाया जा रहा है कि नीतीश जिलावार विधायकों, सांसदों, पार्टी पदाधिकारियों के साथ मुलाकात कर, यह जानना चाहते हैं कि आरजेडी के सहयोग के बिना अकेले चुनाव लड़ने से पार्टी की क्या स्थिति होगी।

आरजेडी और जेडीयू के बीच गठबंधन को लेकर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए लालू और नीतीश एक-दूसरे के करीब रहने के बावजूद उनके बीच हाल में कोई बैठक नहीं हुई है।

आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद के विश्वासपात्र माने जाने वाले बिहार विधान परिषद सदस्य भोला यादव जो बुधवार को नीतीश कुमार से मिले थे और इस मुलाकात के बाद उन्होंने नीतीश के साथ हुई बातचीत के बारे में मीडिया कर्मियों के साथ कुछ भी खुलासा करने से इनकार कर दिया।

आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में आपसी तालमेल को लेकर ‘बडे भाई’ (लालू प्रसाद) और ‘छोटे भाई’ (नीतीश कुमार) के साथ नहीं बैठने और दोनों दलों के नेताओं के बीच जारी जुबानी जंग के कारण तनाव बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं।

आरजेडी उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह द्वारा नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ने को लेकर सवालिया निशान लगाए जाने पर बिहार के वरिष्ठ मंत्री श्याम रजक ने आरोप लगाया कि सिंह बीजेपी के इशारे पर ऐसा कर रहे हैं। रजक ने कहा, ‘नेतृत्व को लेकर दोनों दलों के नेता आपस में बैठकर निर्णय लेंगे।’ रजक की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रघुवंश ने बिहार में गैर बीजेपी गठबंधन को स्वरूप देने के लिए कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी से हस्तक्षेप करने की अपील की।

जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा है कि नीतीश के अलावा किसी अन्य का नेतृत्व उन्हें स्वीकार्य नहीं है। पूर्वी चंपारण जिले में मधुबन के विधायक शिवजी राय सहित कई अन्य विधायकों और पार्टी नेताओं ने भी उनके विचारों से सहमति जतायी है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आरजेडी को आशंका है कि नीतीश को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने से उसका महत्वपूर्ण यादव जाति का वोट, जो कि पिछड़ी जाति में करीब 14 प्रतिशत है, खो जाएगा क्योंकि समुदाय के लोगों का आरोप है कि एनडीए शासनकाल के दौरान नीतीश ने उनके हित के खिलाफ काम किया है।

इसबीच बिहार के वरिष्ठ मंत्री रमई राम ने एक बार फिर पार्टी के खिलाफ बोलते हुए बुधवार को कहा कि ऐसा लगता है कि जेडीयू ने पिछले लोकसभा चुनाव में हुई हार से सबक नहीं सीखा और चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा के लिए जोर दिया जाना प्रदेश में बीजेपी को पराजित करने के लिए मजबूत धर्मनिरपेक्ष गठबंधन बनाने के मौके को खो देगा।

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मुजफ्फरपुर जिला के बोचहा विधानसभा क्षेत्र से आठवीं बार विधायक रमई ने गत फरवरी में नीतीश के चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के समय उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग की थी और नीतीश के हाल में आए भूकंप में रक्सौल में राहत कार्यों की निगरानी करने की जिम्मेवारी जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी को सौंपे जाने पर नाराजगी जताते हुए पूर्वी चंपारण जिला के प्रभारी मंत्री पद से त्यागपत्र सौंप दिया था।