नीतीश कुमार 22 फरवरी को लेंगे मुख्यमंत्री पद की शपथ

पटना:

बिहार में कई सप्ताह से चली आ रही राजनीतिक अनिश्चितता समाप्त करते हुए नीतीश कुमार 22 फरवरी को राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे।

राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी के साथ राजभवन में करीब एक घंटे की मुलाकात के बाद कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि वह बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में 22 फरवरी को शाम पांच बजे शपथ लेंगे। उन्होंने बताया कि राज्यपाल ने उनसे 16 मार्च से पहले तीन सप्ताह के भीतर सदन में बहुमत सिद्ध करने को कहा है। नीतीश के साथ जदयू, राजद, कांग्रेस और भाकपा के विधायकों सहित एक निर्दलीय विधायक भी राज्यपाल से मिलने गए थे।

नीतीश कुमार ने कहा कि उनकी सरकार बिहार विधानसभा के नए बजट सत्र को बुलाने के बारे में फैसला करेगी और राज्यपाल के बिहार विधान मंडल के संयुक्त सत्र में दिए जाने वाले अभिभाषण की तिथि तय करेगी।

नीतीश कुमार ने कहा कि जदयू और उसके समर्थकों ने आठ फरवरी को ही बिहार में सरकार बनाने का दावा पेश किया था और 9 फरवरी को जब वे और अन्य नेता राज्यपाल से मिलने गये थे तो इस दावे को पुन: दोहराया था । राजभवन से निकलते समय नीतीश ने पत्रकारों से कहा, ‘‘आज हमने अपने दावे को पुन: दोहराया और कहा कि आज की परिस्थिति में हम एक बार फिर नयी सरकार बनाने का दावा पेश करते हैं । राज्यपाल ने हमारे अनुरोध को स्वीकार कर लिया और हमें 22 फरवरी की शाम शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया ।

नीतीश के साथ राजभवन जाने वालों में जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, पार्टी के वरिष्ठ नेता विजय चौधरी, आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी, बिहार विधानसभा में राजद विधायक दल के नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी, कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह, भाकपा विधायक सुबोध राय और निर्दलीय विधायक दुलालचंद गोस्वामी भी शामिल थे।

इस सवाल का नीतीश ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया कि उन्हें समर्थन देने वाले क्या नई सरकार में शामिल होंगे।

उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में जदयू की करारी हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश ने गत वर्ष 17 मई को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और जीतन राम मांझी को अपना उत्तराधिकारी मनोनीत किया था।

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नीतीश को मांझी के स्थान पर जेडीयू द्वारा विधायक दल का नया नेता चुने जाने पर राज्यपाल ने मांझी को 20 फरवरी को विश्वास मत हासिल करने का निर्देश दिया था पर मांझी ने विश्वास मत हासिल करने से पहले ही राजभवन जाकर राज्यपाल को मुख्यमंत्री पद से अपना त्याग पत्र सौंप दिया।