यह ख़बर 14 अप्रैल, 2013 को प्रकाशित हुई थी

मोदी की राह में जद(यू) ने बिछाए कांटे

खास बातें

  • नरेंद्र मोदी के राजग का प्रधानमंत्री प्रत्याशी बनने की 'अभिलाषा' पर सहयोगी दल जद(यू) ने तुषारापात जारी रखा। दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक के आखिरी दिन रविवार को जहां जद(यू) ने 'पीएम इन वेटिंग' का नाम जाहिर करने के लिए भाजपा को दिसंबर तक का समय दिया, वहीं बगैर
नई दिल्ली:

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के राजग का प्रधानमंत्री प्रत्याशी बनने की 'अभिलाषा' पर सहयोगी दल जद(यू) ने तुषारापात जारी रखा। दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक के आखिरी दिन रविवार को जहां जद(यू) ने 'पीएम इन वेटिंग' का नाम जाहिर करने के लिए भाजपा को दिसंबर तक का समय दिया, वहीं बगैर नाम लिए मोदी को नेता मानने से इनकार कर दिया।

उधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने मोदी को पार्टी में 'सबसे लोकप्रिय नेता' बताकर गठबंधन में नेतृत्व के सवाल पर जारी तनातनी का संकेत दिया है। उन्होंने कहा है कि अध्यक्ष होने के बावजूद वह यह नहीं कह सकते कि भाजपा संसदीय दल का फैसला क्या होगा, लेकिन साफ है कि मोदी पार्टी के सबसे लोकप्रिय नेता हैं।

जनता दल (यूनाइटेड) अध्यक्ष शरद यादव ने हालांकि यह कहते हुए थोड़ी नरमी दिखाई कि भाजपा के साथ पार्टी का गठबंधन बेहद पुराना है और "हम इसे तोड़ना नहीं चाहते।"

नरेंद्र मोदी का नाम न लेते हुए यादव ने कहा, "हमें किसी व्यक्ति विशेष से कोई लेना-देना नहीं है। हम पिछले 17 साल से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथ हैं। इस गठबंधन के कारण हमें कई बार विपरीत परिणाम भुगतने पड़े.. फिर भी अब तक यह जारी है।"

मोदी पर हमला जारी रखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को कहा कि एक राज्य का विकास प्रारूप (मॉडल) समूचे भारत की बीमारी का संभावित उपचार नहीं हो सकता।

पार्टी के 1,300 प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने मोदी पर निशाना साधा और यह भी कहा कि उनकी पार्टी धर्मनिरपेक्षता का दामन कभी नहीं छोड़ेगी।

नीतीश ने कहा कि भाजपा के साथ उनकी पार्टी का गठबंधन तभी चल सकता है, जब 'कुछ मूलभूत मुद्दों' पर स्थिति स्पष्ट हो।

नीतीश ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की उस सलाह का भी उल्लेख किया जिसमें उन्होंने वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के समय मोदी को 'राजधर्म' निभाने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा, "देश को चलाने के लिए हर किसी को साथ लेकर चलने की अटलजी की सोच अपनाने की जरूरत है। केवल वही व्यक्ति जो इस देश की विविधता को समझता है, नेतृत्व कर सकता है।"

गुजरात में सद्भावना यात्रा के दौरान एक मुस्लिम द्वारा दी गई टोपी पहनने से मोदी के इनकार पर चुटकी लेते हुए नीतीश कुमार ने कहा, "आपको हर किसी का सम्मान करना होगा। आपको टोपी भी पहनी पड़ेगी, आपको तिलक भी लगवाना पड़ेगा।"

सबसे मजेदार यह रहा कि पूरे भाषण के दौरान नीतीश ने एक बार भी मोदी का नाम नहीं लिया, कहा सबकुछ, मगर परोक्ष रूप से।

गुजरात के 'नेता' की शत-प्रतिशत आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय जनता के पास नेताओं को उनकी भाषा और भाषण से परखने की पर्याप्त क्षमता है। नीतीश ने कहा, "देश की जनता भले ही ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हो, लेकिन बुद्धिमान जरूर है।"

गुजरात को आर्थिक विकास का मॉडल बताने वाले नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए नीतीश ने यह भी कहा कि बिहार भी आर्थिक विकास का मॉडल है, जहां समाज के सभी वर्गों के हितों का खयाल रखा जाता है।

पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में नीतीश ने कहा, "हम किस तरह का विकास चाहते हैं? हम ऐसा विकास नहीं चाहते, जिसमें एक बड़ी आबादी पीने के पानी से वंचित रहे और महिलाएं कुपोषण की शिकार रह जाएं।" उन्होंने मोदी के सुझाए विकास मॉडल पर चुटकी लेते हुए कहा, "हम समुद्र का किनारा कहां से लाएं?"

अपने राजनीतिक प्रस्ताव में जद(यू) ने भाजपा से प्रत्याशी का नाम जाहिर करने की समय सीमा तो बांधा ही साथ ही प्रत्याशी कैसा हो उस पर सुझाव भी दिया है। जद(यू) ने कहा है, "हम मांग करते हैं कि भाजपा अपना प्रधानमंत्री पद के लिए प्रत्याशी के नाम की घोषणा परंपरा के मुताबिक वर्षांत तक कर दे।"

प्रस्ताव में कहा गया है, "चूंकि 2014 का आम चुनाव मार्च से मई तक में होना है इसलिए जद(यू) का सुझाव है कि राजग की ओर से प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के नाम की घोषणा आम चुनाव के पहले करी दी जाए।"

प्रस्ताव के मुताबिक राजग ने 1999 और 2004 का चुनाव प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में लड़ा था और 2009 का चुनाव लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में। दोनों नेताओं के नाम की घोषणा चुनाव से पहले की गई थी।

प्रस्ताव में कहा गया है, "इससे यह संकेत मिलता है कि प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के नाम की घोषणा चुनाव से पहले की जाती है।"

भाजपा के बहुप्रचारित नेता गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को इशारे में खारिज करते हुए प्रस्ताव में प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी कैसा होना चाहिए, इसका ब्योरा दिया गया है।

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जद(यू) के प्रस्ताव में स्पष्ट कहा गया है कि ऐसा व्यक्ति राजग के शासन के लिए राष्ट्रीय एजेंडे के प्रति समर्पित हो, उसकी धर्मनिरपेक्ष छवि हो और वह सम्मिलित राजनीति और विकास का प्रवक्ता होने के साथ-साथ पिछड़े क्षेत्रों के विकास के प्रति प्रतिबद्ध हो।