नीतीश का मोल अब नहीं रहा, बीजेपी उन्हें नहीं झेल पाएगी : शिवानंद तिवारी

आरजेडी नेता ने कहा- एक छोटी पार्टी के नेता होने के बावजूद नीतीश की जो राष्ट्रीय छवि बनी थी उसके पीछे उनकी नैतिक आभा थी, वही उनकी पूंजी थी

नीतीश का मोल अब नहीं रहा, बीजेपी उन्हें नहीं झेल पाएगी : शिवानंद तिवारी

आरजेडी के नेता शिवानंद तिवारी ने कहा है कि मोदी की गोदी में बैठकर नीतीश ने अपनी नैतिक चमक खो दी है.

खास बातें

  • आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने 'फेसबुक' पर पोस्ट साझा की
  • लोगों ने नीतीश को नरेंद्र मोदी के विकल्प के रूप में देखना शुरू कर दिया था
  • महागठबंधन छोड़कर मोदी की गोदी में बैठकर नीतीश ने अपनी नैतिक चमक खो दी
नई दिल्ली:

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी ने कहा है कि नीतीश कुमार के सामने बहुत विकल्प नहीं हैं. भाजपा एक सीमा के बाद उनको झेल नहीं पाएगी. नीतीश जी का मोल अब वह नहीं रह गया है जो 2009 में था. इस बीच गंगा से पानी बहुत निकल चुका है.

शिवानंद तिवारी ने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट 'फेसबुक' पर एक पोस्ट में कहा है कि नीतीश जी ने अपनी जो नैतिक आभा बनाई थी, वही उनका बल था. वही उनकी पूंजी थी. एक छोटी पार्टी के नेता होने के बावजूद उनकी जो राष्ट्रीय छवि बनी थी उसके पीछे उनकी वही नैतिक आभा थी. साम्प्रदायिकता और सामाजिक न्याय नीतीश कुमार की राजनीति की मूलधारा रही है. इसलिए साम्प्रदायिकता को मुद्दा बनकर जब वे अपने पुराने गठबंधन से बाहर आए तो तत्काल लोगों ने उन्हें नरेंद्र मोदी के विकल्प के रूप में देखना शुरू कर दिया था.

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उन्होंने कहा है कि भ्रष्टाचार कभी नीतीश कुमार के लिए प्राथमिक मुद्दा नहीं रहा है. पंडित जगन्नाथ मिश्र जी को अपनी पार्टी में आदरणीय स्थान उन्होंने दिया था. लालू जी को चारा घोटाला में सज़ा मिल चुकी है. यह जानते हुए भी उन्होंने उनके साथ गठबंधन बनाया था. महागठबंधन छोड़कर फिर नरेंद्र मोदी की गोदी में बैठने के बाद नीतीश जी ने अपनी वह नैतिक चमक खो दी है. वही उनकी पूंजी थी.

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तिवारी ने कहा है कि जनाधार के मामले में नीतीश जी कभी ताक़तवर नहीं रहे. जोड़-घटाव के ज़रिए जो आधार उन्होंने बनाया था वह उनकी राजनीति की झटकेबाज़ी को झेल नहीं पाया, बिखर गया. यह हाल के उपचुनावों के नतीजे से ज़ाहिर हो चुका है. इसलिए नीतीश जी कहीं भी मानोनुकूल सौदा कर पाएंगे, इसकी गुंजाइश तो नहीं दिखाई दे रही है. महागठबंधन पुन: इनके लिए विकल्प हो सकता है इसकी गुंजाइश भी मुझे नहीं दिखाई दे रही है. लालू स्वभाव से औघड़ हैं. मनावन करने के बाद वे शायद मान भी लें. लेकिन राजद का नेता अब तेजस्वी है. नीतीश की वजह से जो उसको झेलना पड़ा है, वह भूलकर पुन: उनके साथ काम करेगा, इसका रंच मात्र यकीन मुझे नहीं है. अपनी अति चतुराई के अहंकार में नीतीश इस बार बुरी तरह फंस गए. उनकी क्या गति होती है, इसको देखना दिलचस्प होगा.


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